अगर हम आपसे पूछें कि दुनिया की पहली किताब कौन सी है तो क्या आप हमें इसका जवाब बता सकते हैं? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर देना बहुत कठिन हो सकता है. हालांकि, इतिहासकारों के दावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. दुनिया की पहली किताब का इतिहास बहुत ही प्राचीन है और इसका पता लगाना बहुत मुश्किल हो सकता है. हालांकि, एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ "ऋग्वेद" को दुनिया की पहली किताब माना जाता है. ऋग्वेद एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो सम्प्रति साक्षात्कार, मंत्र और स्तुति के रूप में उपयोग किया जाता है. यह ग्रंथ वेदों का पहला और सबसे प्रमुख भाग है और इसे वैदिक साहित्य का एक हिस्सा माना जाता है.
सनातन की शक्ति है ऋग्वेद
ऋग्वेद में विभिन्न ऋषियों द्वारा संग्रहित मंत्रों का संग्रह है जो भगवान, प्राकृतिक तत्व, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हैं. इस ग्रंथ में धर्म, ज्ञान, और शिक्षा के महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जो अपनी अमूल्य ज्ञान के लिए जाना जाता है. ऋग्वेद को संसार की पहली किताब के रूप में माना जाता है क्योंकि इसने मानव समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है. यह ग्रंथ विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक सिद्धांतों को समाहित करता है जो मानव जीवन की मूल आधारशिला के रूप में काम करते हैं. ऋग्वेद का आधार वेदांत और हिन्दू धर्म के विकास में रहा है, और यह ग्रंथ हमें अपने असीम समृद्ध संस्कृति की अनमोल विरासत प्रदान करता है. इसके माध्यम से हम अपने प्राचीन भारतीय साहित्य और संस्कृति को समझते हैं और अपने जीवन को संवैधानिक, धार्मिक और मानवीय दृष्टिकोण से अधिक उत्तेजित करते हैं.
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ऋग्वेद का महत्व कितना?
ऋग्वेद में विभिन्न ऋषियों द्वारा संग्रहित मंत्रों में धार्मिक सिद्धांतों की उत्पत्ति और प्रणालियों का उल्लेख किया गया है. यह धार्मिक ग्रंथ भारतीय समाज में धार्मिकता के आधारशिला के रूप में कार्य करता है. भारतीय संस्कृति का विकास: ऋग्वेद में विभिन्न परंपराओं, सम्प्रदायों और समाजिक व्यवस्थाओं की चर्चा होती है जो भारतीय संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ऋग्वेद वेदों का पहला और महत्वपूर्ण भाग है, जिसे भारतीय साहित्य और धार्मिक शास्त्रों का आधार माना जाता है. इसके मंत्रों में ज्ञान, विवेक, और नैतिकता के महत्वपूर्ण सिद्धांत होते हैं.
Source : News Nation Bureau