Advertisment

Success Story: आर्थिक तंगी में रूढ़ियों को पछाड़ खेलती रहीं खो-खो, आज हैं कप्तान

सरीन शेख भारतीय महिला खो-खो टीम की कप्तान हैं. उनकी अगुवाई में ही भारत ने नेपाल को हराकर साउथ एशियन गेम्स का गोल्ड जीता था. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से भले ही नसरीन के घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हो, लेकिन इतनी परेशनियों के बावजूद एक खिलाड़ी का हौसला कभी नहीं टूटा.

author-image
Vineeta Mandal
New Update
sucess story

Nasreen Shekh( Photo Credit : (फोटो-Ians))

Advertisment

सरीन शेख भारतीय महिला खो-खो टीम की कप्तान हैं. उनकी अगुवाई में ही भारत ने नेपाल को हराकर साउथ एशियन गेम्स का गोल्ड जीता था. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से भले ही नसरीन के घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ी हो, लेकिन इतनी परेशनियों के बावजूद एक खिलाड़ी का हौसला कभी नहीं टूटा. नसरीन ने कोरोना काल में भी अपनी और अपनी टीम की प्रैक्टिस बरकरार रखी. नसरीन अब तक 40 नेशनल और 3 इंटरनेशनल मैच खेले चुकी हैं. नसरीन एयरपोर्ट अथॉरिटी के लिए भी खेलती हैं.

लॉकडाउन के दौरान बाहर न निकल पाने की वजह से नसरीन सुबह 5 बजे उठकर अपने घर पर ही योग करती थीं, साथ ही वीडियो बनाकर अपनी टीम की अन्य सदस्यों को भी भेजती थीं, ताकि वे भी अपनी प्रैक्टिस पूरी कर सकें और भविष्य में होने वाले मैचों में अच्छा परफॉर्म कर सकें.

दिल्ली के शकरपुर की रहने वाली नसरीन के घर में 7 बहनें और चार भाई हैं. नसरीन के घर में उनके और पिता के अलावा दूसरा कोई कमाने वाला नहीं है. हालांकि रूढ़िवादी प्रथाओं को तोड़कर नसरीन ने हर चुनौतियों को साधा.

दरअसल, रिश्तेदारों को नसरीन के छोटे कपड़ों से परेशानी थी और अक्सर उन पर ताने भी कसे गए, लेकिन नसरीन के माता-पिता ने हमेशा होनहार बिटिया का साथ दिया.

नसरीन ने आईएएनएस को बताया, "एक खिलाड़ी के लिए उसकी प्रैक्टिस बहुत जरूरी होती है. कोरोना वायरस की वजह से सारे स्टेडियम बंद हो गए, जिसकी वजह से हमारा शिड्यूल बिगड़ गया था. मैं सुबह 5 बजे उठकर पद्मासन,धनुरासन, चक्रासन और सूर्यनमस्कार करती थी. साथ ही एरोबिक्स और मेडिटेशन भी किया करती थी."

उन्होंने कहा, "मैं अपनी टीम की अन्य सदस्यों को भी वीडियो बनाकर भेजती थी, ताकि उनकी प्रैक्टिस बरकरार रहे और भविष्य में होने वाले मैचों में हम अच्छा खेल सकें. एक खिलाड़ी के लिए उसके शरीर से बढ़कर और कुछ नहीं होता."

आईएएनएस ने जब नसरीन से पूछा कि उन्होंने खो खो को ही क्यों चुना, कोई और खेल क्यों नहीं? तो जवाब में नसरीन ने कहा, "हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही ठीक नहीं थी. अन्य खेलों के मुकाबले खो खो मुझे परिवार के आर्थिक हालातों को देखते हुए ठीक लगा. इस खेल को सीखने में खर्च कम लगता है."

दरअसल, नसरीन के पिता घूम-घूमकर बर्तन बेचने का काम करते हैं. लॉकडाउन में काम बंद हो जाने की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा. लेकिन जब मीडिया ने नसरीन की परेशानियों के बारे में बताया तो भारतीय खो-खो महासंघ उनकी मदद के लिए आगे आया और एक लाख रुपये की मदद की.

लॉकडाउन के दौरान भारतीय खो खो महासंघ, दिल्ली यूथ वेलफेयर एसोसिएशन, दिल्ली सरकार और अभिनेता सोनू सूद की तरफ से नसरीन की आर्थिक मदद की गई. नसरीन फिलहाल दिल्ली सरकार के संपर्क में हैं और सरकार ने उन्हें नौकरी का आश्वासन भी दिया गया है.

उन्होंने बताया, "लॉकडाउन में जब मेरा परिवार अर्थिक तंगी से जूझ रहा था, तो उस वक्त मुझे दिल्ली यूथ वेलफेयर एसोसिएशन, एक्टर सोनू सूद, दिल्ली सरकार और भारतीय खो खो महासंघ की तरफ से मदद पहुंचाई गई."

खिलाड़ी ने कहा, "मैं दिल्ली सरकार के लगातार संपर्क में हूं, लेकिन कोरोना की वजह से थोड़ा समय लग रहा है. मुझे सरकार की तरफ से नौकरी का आश्वासन दिया गया है."

नसरीन के माता-पिता ने कहा, "हमारी बच्ची कई सालों से इस खेल को खेल रही है. कई बार हमारे रिश्तेदारों ने मना किया, लेकिन हमने अपनी बच्ची के हौसलों को कभी टूटने नहीं दिया."

Source : IANS

Motivational Stories Motivated Story Nasreen Shekh Women Kho Kho Team Kho Kho Team Captain नसरीन शेख प्रेरणादायक कहानियां कामयाबी की कहानी खो खो महिला खो-खो टीम कैप्टन
Advertisment
Advertisment