Hell on Earth: स्वर्ग और नर्क के बारे में रोजाना की जिंदगी में हम सुनते रहते हैं. हर जब हम कुछ पाप करते हैं तो कहा जाता है कि नर्क में जाएंगे. धार्मिक ग्रंथों में नर्क के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है. लेकिन नर्क की बात केवल एक मिथक है क्या सच में मरने के बाग नर्क में यातानाएं मिलती है. इन सब के बीच कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने उत्तरी साइबेरिया में एक जगह खोजी है. जिसे नर्क का द्वार कहा जा रहा है. आखिर क्या है इस नर्क के द्वार का सच.
क्या है साइबेरिया में मौजूद नर्क का द्वार?
साइबेरिया का 'नर्क का द्वार' नामक विशाल सिंकहोल लगातार बड़ा हो रहा है, जिसकी वजह से वैज्ञानीक चिंता में आ गए हैं. इस सिंकहोल, जिसे बातागाइका क्रेटर के नाम से भी जाना जाता है, जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से फैल रहा है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसके अलावा भी अफ्रिका के प्लेट भी अलग होते जा रहे हैं, जो एक समय के बाद कहा जा रहा है कि भारत के साथ जुड़ जाएगा.
क्यों हो रहा है ये गड्ढा
बातागाइका क्रेटर साइबेरिया के यानी हाईलैंड्स में स्थित बहुत बड़ा गड्ढा है. इसका आकार लगातार बढ़ रहा है. ये गड्ढा अब यह कई सौ मीटर चौड़ा और गहरा हो चुका है. इस गड्ढे का निर्माण परमाफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण हुआ है. परमाफ्रॉस्ट जमीन की वह परत होती है जो साल भर जमी रहती है. जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने से यह परमाफ्रॉस्ट पिघल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जमीन धंस रही है और बड़े-बड़े गड्ढे बन रहे हैं.
क्या ये नर्क का द्वार खतरनाक है?
इस गड्ढे में बड़ी मात्रा में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें हैं. जब परमाफ्रॉस्ट पिघलता है तो ये गैस वायुमंडल में जाती है. जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती है. साथ ही कई जीवों के वायरस एक्टिव हो जाते हैं. जिससे बीमारियों का प्रकोप फैलने का खतरा बढ़ जाता है. इस गड्ढे को रोकने के लिए हो रहे ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना सबसे जरूरी है.
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