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मेजर ध्यानचंद की खेल से खुश होकर हिटलर ने दिया था ये ऑफर, लेकिन उन्होंने किया सख्त इनकार

मेजर ध्यानचंद ने 14 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार हॉकी स्टिक पकड़ी और तभी से उनकी हॉकी के प्रति दीवानगी शुरू हो गई.ध्यानचंद की खेल प्रतिभा इतनी अद्भूत थी कि वे अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भी मशहूर हो गए.

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Priya Gupta
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dhyan chandra

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National Sports Day 2024: हर साल 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) के रूप में मनाते हैं. यह दिन भारतीय हॉकी के जादूगर, मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के अवसर पर समर्पित होता है. मेजर ध्यानचंद का नाम भारतीय खेलों की शान और हॉकी के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है. उनकी खेल की कला और उपलब्धियां आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं. मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था. उनके पिता, समेश्वर दत्त सिंह, सेना में थे और हॉकी खेलते थे. तबादले के कारण परिवार झांसी आ गया, जहां ध्यानचंद की पढ़ाई हुई. 14 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार हॉकी स्टिक पकड़ी और तभी से उनकी हॉकी के प्रति दीवानगी शुरू हो गई. अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए, उन्होंने जल्दी ही हॉकी के मैदान पर अपना नाम कमा लिया.

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और उपलब्धिया

ध्यानचंद की खेल प्रतिभा इतनी अद्भूत थी कि वे अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भी मशहूर हो गए. उन्होंने भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व 1928 के एम्सटर्डम, 1932 के लॉस एंजेलिस, और 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में किया. इन खेलों में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीते. ध्यानचंद की हॉकी के प्रति मास्टरली दृष्टिकोण ने उन्हें भारत का पहला ग्लोबल स्पोर्ट्स स्टार बना दिया.

हिटलर और ध्यानचंद का किस्सा

1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों के दौरान मेजर ध्यानचंद की शानदार खेल शैली ने जर्मनी के तानाशाह, एडोल्फ हिटलर को भी प्रभावित किया. हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन सेना में एक हाय पद का प्रस्ताव दिया, जिसे ध्यानचंद ने सख्ती से ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि वे भारत का नमक खा चुके हैं और देश से गद्दारी नहीं करेंगे. यह उनका जज्बा और देशभक्ति ही थी, जिसने उन्हें भारत के खेल नायक बना दिया.

ब्रैडमैन की प्रशंसा

ध्यानचंद का खेल न केवल भारतीय खिलाड़ियों को बल्कि अंतर्राष्ट्रीय खेल जगत के दिग्गजों को भी प्रभावित किया. 1935 में, जब भारतीय हॉकी टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी, तब क्रिकेट के लिजेंड डॉन ब्रैडमैन ने ध्यानचंद की खेल कला की सराहना की थी. उन्होंने ध्यानचंद से कहा कि उनका खेल क्रिकेट के रन की तरह गोल करता है, जो उनकी शानदार खेल क्षमता को दर्शाता है.

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