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यूपी की शिक्षा व्यवस्था में आने वाली है क्रांति! सीएम योगी ने की समीक्षा, दिए ये निर्देश

UP में शिक्षा विभाग सहित कई अन्य विभागों में हुए कार्यों को लेकर सीएम योगी ने समीक्षा की है. साथ ही आने वाले 10 सालों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कैसे कार्य किए जाएंगे इसके निर्देश दिए जाएंगे.

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Priya Gupta
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UP Education: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत अब तक हुए कार्य तथा योजनाओं/कार्यक्रमों की समीक्षा की. इस बैठक में बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक, व्यावसायिक, कृषि तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों ने अपने-अपने विभागों की प्रगति से मुख्यमंत्री को बताया. इस बैठक में सीएम योगी ने कई दिशा-निर्देश दिए हैं. 

सीएम ने कहा कि एनईपी का विजन हायर एजुकेशन संस्थानों में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए गुणवत्तापूर्ण, सार्वभौमिक एवं रोजगार में बढ़ावा मिले ऐसी शिक्षा होनी चाहिए.उत्तर प्रदेश एनईपी को लागू करने वाला पहला राज्य रहा है. बीते तीन सालों में इसके जरिए ग्रॉस इनरोलमेंट रेशियों (Gross Enrolment Ratio) में यूनिवर्सिटी कॉलेजों में अच्छी शिक्षा और कई चीजों में सुधार देखने को मिले हैं.

पढ़ें निर्देश

  • उत्तर प्रदेश ने एक मंडल विश्वविद्यालय का लक्ष्य पूरा कर लिया है और अब हम एक जिला-एक विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहे हैं. ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो को बेहतर करने में इन नए विश्वविद्यालयों की स्थापना से सहायता मिल रही है. वर्तमान में उच्च शिक्षण संस्थानों में जीईआर लगभग 25% है. हमारा लक्ष्य हो कि आगामी 10 वर्षों में यह 50% से अधिक हो.
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ज्ञान, कौशल विकास और रोजगारपरक शिक्षा पर विशेष ध्यान देती है. युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. करिकुलम तैयार करते समय इन विषयों को ध्यान में रखा जाए. 
  • मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के जरिए से ग्रजुएशन व डिप्लोमा कर चुके युवाओं को औद्योगिक संस्थानों में अप्रेंटिशशिप की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. अब तक पिछले वित्तीय वर्ष में 53 हजार से अधिक युवा इस योजना से जुड़े और इस वर्ष अब तक 11 हजार अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जिसमें लगभग 2800 युवा अप्रेंटिश कर रहे हैं. 
  • आज़मगढ़ स्थित महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय में महान साहित्यकार, विचारक राहुल सांकृत्यायन जी के नाम पर यथाशीघ्र शोधपीठ की स्थापना की जाए. यह पीठ राहुल सांकृत्यायन जी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर शोध-अध्ययन के लिए युवाओं के लिए उचित मंच प्रदान करेगी.
  • एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) प्लेटफार्म पर सभी छात्रों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होना चाहिए. सभी छात्र क्रेडिट हस्तांतरण इसी प्लेटफार्म के माध्यम से प्रबंधित किए जाएं. इसके के बारे में छात्र-छात्राओं को जागरूक करें. मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एक्ज़िट प्रणाली को लागू किया जाए.
  • कृषि शिक्षा, रिसर्च में अपार अवसर हैं. कॅरियर के नजरिए से यह सेक्टर बड़ी संभावनाएं समेटे हुए है. हाल के सालों में बड़ी संख्या में युवाओं का आकर्षण इस ओर देखने को मिला है. कोर्स बढ़े हैं, साथ ही छात्र भी बढ़े हैं. आज सभी 4 कृषि विश्वविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित हो रहे हैं. कृषि से संबंधित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किये जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) जैसी संस्था इस संबंध में उपयोगी हो सकती है. इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएं.
  • एनईपी 2020 में बेसिक शिक्षा को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है. प्री-प्राइमरी शिक्षा को व्यवस्थित करते हुए आज लगभग 88,000 आंगनबाड़ी केंद्रों को 'बाल वाटिका' के रूप में नया स्वरूप दिया गया है. बाल वाटिकाओं को उपयोगी बनाएं. इसके लिए महिला एवं बाल विकास तथा बेसिक शिक्षा विभाग को मिलकर काम करना होगा. बाल वाटिका को एक ऐसे केंद्र के रूप में विकसित करें, जहां बच्चों में सीखने के प्रति ललक पैदा हो.
  • समय-समय पर सिलेबस को अपडेट किया जाना चाहिए. छोटे बच्चों की किताबें, पढ़ाने के तौर तरीकों को रुचिकर बनाया जाना चाहिए. पहली और दूसरी में अब एनसीईआरटी सिलेबस लागू हो गया है. सभी विद्यालयों में इन किताबों की उपलब्धता होनी चाहिए. फिलहाल के सत्र में 20.5 लाख नए बच्चों को जोड़ा गया है. स्कूल ड्रॉप आउट हर एक बच्चे को स्कूल से जोड़ने का प्रयास किया जाए.
  • मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालय तथा मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों के निर्माण की कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ाई जाएं. अटल आवासीय विद्यालयों के साथ यह विद्यालय आने वाले समय में प्रदेश की आधारभूत शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव का वाहक बनेंगे. इन विद्यालयों को वैश्विक मानकों के अनुरूप सुसज्जित किया जाना चाहिए.
  • शिक्षण संस्थाओं में वार्षिक कैलेंडर तैयार करते समय यह सुनिश्चित करें कि अनिवार्य स्थिति न हो तो वार्षिक परीक्षाएं 15 मई तक पूरी हो जाएं. यह सुनिश्चित करें कि हर विद्यालय में खेल के मैदान जरूर हों.
  • माध्यमिक विद्यालयों में सिलेबस के भार को कम किया जाना चाहिए.सिलेबस अपडेट करें और मूल्यपरक, कौशल आधारित शिक्षा पर  फोकस रखें. रटने की प्रवृत्ति कम करने के लिए परीक्षा मॉडल में बदलाव किया जाए.
  • समग्र शिक्षा तथा उ.प्र. कौशल विकास मिशन के माध्यम से प्रदेश के समस्त राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा यथाशीघ्र उपलब्ध करा दी जाए. इसके लिए बजटीय प्रावधान किया जा चुका है. एनईपी स्थानीय जरूरतों के अनुरूप नए ट्रेड के निर्धारण पर जोर देती है. इसके लिए हमें ODOP के अन्तर्गत चयनित उत्पाद से संबंधित ट्रेड उपयोगी हो सकता है.
  • कोर्स को स्थानीय भाषा में होना चाहिए.इसके साथ-साथ हमें अपने युवाओं को अन्य भाषाओं का ज्ञान भी कराना चाहिए। बहुभाषी होना, न केवल रोजगारपरक है बल्कि व्यक्तित्व को प्रभावी भी बनाता है. इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए.
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