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Nobel Peace Prize: शांति का नोबेल पुरस्कार दुनिया में सबसे पहले किसे मिला था? पढ़ें फैक्ट

इस साल यानी 2024 में यह पुरस्कार जापान के निहोन हिंदांक्यो नामक संगठन को दिया गया है. यह संगठन परमाणु हथियारों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम करता है.

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Priya Gupta
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Nobel Prize

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Nobel Peace Prize: शांति का नोबेल पुरस्कार दुनियाभर में शांति के लिए काम करने वालों के लिए सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है.इस साल यानी 2024 में यह पुरस्कार जापान के निहोन हिंदांक्यो नामक संगठन को दिया गया है. यह संगठन परमाणु हथियारों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम करता है. खास बात यह है कि इस संगठन में वे लोग शामिल हैं, जिन्हें 'हिबाकुशा' कहा जाता है, यानी जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में बच गए थे. ये लोग अपनी दर्द भरी कहानियों और अनुभवों को दुनिया के सामने लाकर, यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दुनिया फिर कभी ऐसी तबाही न देखे.

शांति के नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कैसे हुई?

आपको जानकर हैरानी होगी कि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1901 में हुई थी. तब से लेकर अब तक 111 व्यक्तियों और 31 संगठनों को यह पुरस्कार मिल चुका है. लेकिन सोचिए, महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्ति को, जिन्हें कई बार नामांकित किया गया, उन्हें यह पुरस्कार कभी नहीं मिला.यह एक ऐसा सवाल है जो आज भी कई लोगों के मन में उठता है.

पहला नोबेल शांति पुरस्कार किसे मिला?

1901 में शांति के लिए पहला नोबेल पुरस्कार दो महान शख्सियतों को मिला था.फ्रांस के फ्रेडरिक पैसी और स्विट्ज़रलैंड के जीन हेनरी डुनेंट. जीन हेनरी डुनेंट को यह पुरस्कार युद्ध में घायल सैनिकों की मदद करने और मानवता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दिया गया.वहीं फ्रेडरिक पैसी को अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलनों और कूटनीति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया.

रेड क्रॉस: एक ऐतिहासिक पहल

जीन हेनरी डुनेंट का नाम सुनते ही रेड क्रॉस का ख्याल आता है, जो कि दुनिया की सबसे बड़ी मानवीय सहायता देने वाली संस्था है.डुनेंट को रेड क्रॉस की स्थापना का श्रेय जाता है. 1859 में इटली के सोलफेरिनो नामक शहर में एक भयंकर युद्ध हुआ था, जहां हजारों सैनिक मारे गए और बहुत से घायल हो गए. डुनेंट ने घायल सैनिकों की मदद की और युद्ध के बाद "सोलफेरिनो की यादें" नामक एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने एक ऐसे संगठन की कल्पना की, जो युद्ध के दौरान घायल लोगों की मदद कर सके. यही विचार आगे चलकर रेड क्रॉस के रूप में साकार हुआ.

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