Success Story: वो लाइन तो सुना है कि जब जागो तभी सवेरा. रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर लोग आराम करना पसंद करते हैं, लेकिन ओडिशा के जय किशोर प्रधान ने एक अलग रास्ता चुना.उनकी कहानी इस बात का जीवंत उदाहरण है कि जीवन में सीखने की कोई उम्र नहीं होती.जय किशोर, जो भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से डिप्टी मैनेजर के पद से 2016 में रिटायर हुए, ने 64 साल की उम्र में एक नया करियर शुरू करने का साहसिक फैसला किया.
रिटायर होने के बाद पास की नीट की परीक्षा
उन्होंने मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट पास की और ओडिशा के बुर्ला में वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (विमसर) में एमबीबीएस की सीट पाई. यह किसी भी उम्र में अपने सपनों को पूरा करने की इंस्पाइरिंग है.जय किशोर की पढ़ाई के सफर की शुरुआत 1974 में हुई, जब उन्होंने पहली बार मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी. हालांकि, उस समय सफलता नहीं मिली.
इसके बाद, उन्होंने फिजिक्स में बीएससी की डिग्री हासिल की और स्कूल में पढ़ाने का काम किया.इसके साथ ही, उन्होंने इंडियन बैंक और फिर SBI में नौकरी की.रिटायर होने के बाद, जब ज्यादातर लोग आराम करना चाहते थे, उन्होंने अपने बचपन के सपने को फिर जिने का फैसला किया. इस बार, उन्होंने नीट की तैयारी करने का निर्णय लिया. पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालते हुए, जय किशोर ने ऑनलाइन कोचिंग की मदद से नीट की तैयारी शुरू की. उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2020 में नीट की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ पास की.
उपरी आयु सीमा खत्म हो चुकी है
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में नीट परीक्षा के लिए ऊपरी आयु सीमा को खत्म कर दिया था, जिससे 25 साल से अधिक उम्र के लोग भी इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. जय किशोर ने इस मौके का लाभ उठाया और साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है.उनका सपना सिर्फ डाक्टर बनना नहीं है; बल्कि, वे चाहते हैं कि डॉक्टरी का कोर्स पूरा करने के बाद वे गरीबों की सेवा करें. उनका मानना है कि चिकित्सा क्षेत्र में उनके अनुभव और ज्ञान का उपयोग समाज के कमजोर वर्ग के लोगों की मदद करने में होना चाहिए.
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