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पोर्ट ब्लेयर का चोल साम्राज्य से था ये कनेक्शन, जिसका नाम अब है श्री विजय पुरम

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बदलाव की घोषणा करते हुए बताया कि यह नाम परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित है, जो देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त करना चाहते हैं.

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Priya Gupta
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Port Blair

photo-social Media

Port Blair: केंद्र सरकार ने हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम रख दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बदलाव की घोषणा करते हुए बताया कि यह नाम परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित है, जो देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त करना चाहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने के पीछे की कहानी केवल आधुनिक युग तक ही सीमित नहीं है? इसका गहरा ऐतिहासिक जुड़ाव भी है, खासकर चोल साम्राज्य के साथ.

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श्री विजयपुरम नाम का महत्व

गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि "श्री विजयपुरम" नाम स्वतंत्रता संग्राम और अंडमान-निकोबार द्वीपों के योगदान को दर्शाता है. यह नाम इस द्वीप की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अहमियत को भी रेखांकित करता है. पोर्ट ब्लेयर का यह नया नाम स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों और इस द्वीप के ऐतिहासिक महत्व को सम्मानित करता है. इस द्वीप पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा तिरंगा फहराने से लेकर, वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए संघर्ष तक की महत्वपूर्ण घटनाएं जुड़ी हुई हैं.

चोल साम्राज्य और पोर्ट ब्लेयर

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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ ही चोल साम्राज्य से भी गहराई से जुड़ा हुआ है. चोल साम्राज्य के समय में पोर्ट ब्लेयर एक नौसैनिक अड्डा रहा. चोल राजाओं की नौसेना ने इस द्वीप का इस्तेमाल समुद्री अभियान और व्यापारिक गतिविधियों के लिए किया. चोल साम्राज्य के विस्तार और समुद्री रणनीतियों में इस द्वीप की महत्वपूर्ण भूमिका थी.

यह द्वीप भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग और सैन्य अड्डा रहा है. चोल साम्राज्य के तहत इस क्षेत्र ने भारतीय समुद्री व्यापार और सैन्य अभियानों में अहम भूमिका निभाई थी. आज भी यह द्वीप भारतीय सेना और नौसेना के लिए एक रणनीतिक केंद्र के रूप में जरूरी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का दौरा किया था, जहां उन्होंने इस क्षेत्र के तीन अन्य द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की थी. उन्होंने हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप, और रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप रखा था. इन नाम बदलाव का मकसद स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और उनके योगदान को सम्मानित करना था.

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