भारत में डॉक्टर बनने के लिए सालों तक पढ़ाई करनी होती है. नीट एग्जाम पास करने के बाद एमबीबीएस पास करने के बाद आप डॉक्टर बनते हैं. लेकिन राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने बिना एमबीबीएस पास किए डॉक्टर बनकर इलाज करने का लाइसेंस दे दिया. राजस्थान मेडिकल काउंसिल (आरएमसी) में एक गंभीर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया है. इस मामले में जाली सर्टिफिकेट के आधार पर कई अयोग्य व्यक्तियों को डॉक्टर का लाइसेंस दिया गया है, जो मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
फर्जी डॉक्टरों का फांडा फोड़
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने ऐसे व्यक्तियों को डॉक्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन दिया, जो केवल 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं. यह गंभीर चिंता का विषय है कि इन लोगों ने न तो मेडिकल की पढ़ाई की है और न ही किसी प्रकार की इंटर्नशिप की है. इसके बावजूद, उन्हें गायनेकोलॉजिस्ट बनकर इलाज कर रहे हैं. बिना किसी मेडिकल नॉलेज के ये मरीजों की जान को खतरे में डाल रहे हैं.
यहां जानें क्या है पूरा है मामला
इस फर्जीवाड़े का एक प्रमुख नाम है डॉक्टर सरिमुल एच. मजूमदार है. इन्होंने 21 जून 2021 को तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल से एक असली महिला डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर चुराकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाया. इसके बाद उन्होंने राजस्थान मेडिकल काउंसिल में आवेदन दिया कि वे ऑब्सटेट्रिशियन सर्जन और गायनेकोलॉजिस्ट के रूप में प्रैक्टिस करना चाहते हैं. आरएमसी ने बिना किसी जांच-पड़ताल के, 19 जुलाई 2024 को उन्हें रजिस्ट्रेशन दे दिया. यह रजिस्ट्रेशन न केवल गैरकानूनी था, बल्कि यह बताता है कि काउंसिल ने कितनी लापरवाही दिखाई.
फर्जीवाड़े का खुलासा
आरएमसी में चल रहे इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ जब कई राज्यों की मेडिकल काउंसिलों और मेडिकल विश्वविद्यालयों के दस्तावेजों की जांच की गई. जांच में पता चला कि राजस्थान में रजिस्ट्रेशन के लिए फर्जी आवेदन किए गए थे, जिसमें दूसरे राज्यों की काउंसिल का जाली रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और एनओसी शामिल थीं. आरएमसी ने बिना किसी सत्यापन के इन आवेदनों को मंजूरी दे दी.
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