कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर सीबीएसई और सीआईसीएसई की बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को 56.4 प्रतिशत लोगों ने सही ठहराया है. आईएएनएस-सीवोटर सीबीएसई स्नैप पोल में यह आंकड़ा सामने आया है. सर्वे के दौरान राज्यों में 56.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि देश में मौजूदा कोविड की स्थिति के कारण बारहवीं कक्षा के लिए राज्य बोर्ड की परीक्षाएं भी रद्द कर दी जानी चाहिए. एक जून को बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद आईएएनएस-सीवोटर सीबीएसई स्नैप पोल आयोजित किया गया. स्नैप पोल के लिए दो जून को संपूर्ण भारत के विभिन्न हिस्सों से कुल 5,422 लोगों से बातचीत की गई.
हालांकि राजस्थान, गोवा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड जैसे कई राज्यों ने बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी है, वहीं छत्तीसगढ़ ऑफलाइन परीक्षा आयोजित कर रहा है. कर्नाटक और ओडिशा सहित अन्य कई राज्यों ने अभी इस मामले पर अपने अंतिम निर्णय की घोषणा नहीं की है.
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अधिकांश उत्तरदाताओं ने कहा कि जहां छात्रों के लिए करियर महत्वपूर्ण है, वहीं देश में घातक वायरस के प्रसार को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य जोखिमों से बचना चाहिए. उनका कहना है कि ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करना घातक साबित हो सकता है.
सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा रद्द करने से छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और ऐसी स्थिति से बचने के लिए, सरकार को विभिन्न परीक्षा आयोजित करने के लिए डिजिटल माध्यम जैसे वैकल्पिक तंत्र का विकल्प चुनना चाहिए.
उत्तरदाताओं का के बड़े समूह - 76.4 प्रतिशत - ने कहा कि सरकार को आईआईटी/जेईई, नीट जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने के बारे में जरा सोचना चाहिए, ताकि छात्रों का एक वर्ष का करियर का नुकसान होने से को रोका जा सके.
हालांकि, 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने देश में डिजिटल या इंटरनेट के बारे में उपलब्धता को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच नहीं रखने वाले बच्चे नुकसानदेह स्थिति में होंगे.
हालांकि बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकार को भविष्य में ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार पर काम करना चाहिए.
विशेष रूप से, बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने इस आयु वर्ग के छात्रों के लिए टीके उपलब्ध नहीं कराए जाने के बारे में चिंता व्यक्त की, 63 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जोर देकर कहा कि सरकार को इस उम्र में छात्रों के लिए जल्द से जल्द टीके लगाने की दिशा में काम करना चाहिए, क्योंकि वे अपने करियर के महत्वपूर्ण चरण में हैं.
बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं - 46.2 प्रतिशत - ने कहा कि सरकार के पास इस आयु वर्ग के बच्चों को पूरी तरह से टीका लगवाने के बाद परीक्षाओं को स्थगित करने और बाद के चरण में आयोजित करने का भी एक विकल्प था.
महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चित परिस्थितियों और विभिन्न हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, केंद्र ने मंगलवार को 2021 के लिए सीबीएसई कक्षा बारहवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया था.
सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के सरकार के फैसले के बाद, काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने भी इस साल के लिए आईएससी कक्षा बारहवीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया. इसने यह कहते हुए परीक्षा रद्द की कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक योजना की घोषणा जल्द ही की जाएगी.
सीबीएसई बारहवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में लिया गया.