Advertisment

Birthday Special: चंद्रशेखर आजाद, वो क्रांतिकारी जिसे अंत तक नहीं पकड़ पाई थी ब्रिटिश हुकूमत

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में चंद्रशेखर ने केवल 14 साल की उम्र में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे.

author-image
Vikas Kumar
एडिट
New Update
Birthday Special: चंद्रशेखर आजाद, वो क्रांतिकारी जिसे अंत तक नहीं पकड़ पाई थी ब्रिटिश हुकूमत

चंद्रशेखर आजाद (फाइल फोटो)

Advertisment

जयंती चंद्रशेखर आजाद- आज जिस आजाद भारत में सांस ले रहे है उसके लिए हमारे कई क्रांतिकारी नेताओं ने अपने जान की शहादत दी है. पहले पुर्तगाली फिर उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी और फिर बाद में ब्रिटिश हुकूमत. इन सबने भारत के लोगों का काफी शोषण किया है. जब भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की बात की जाती है तो उनमें चंद्रशेखर आजाद का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. चंद्रशेखर उन क्रांतिकारियों में से हैं जिन्होंने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था और भेष बदलने में माहिर आजाद को अंत तक अंग्रेजों की पकड़ में नहीं आए. आज यानी 23 जुलाई को चंद्रशेखर आजाद की जयंती है और आज हम उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानेंगे.

यह भी पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी भगवान राम की, ऊंचाई होगी 251 मीटर

3 जुलाई 1906 को चन्द्रशेखर आज़ाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा में हुआ था. इनके बचपन का नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में चंद्रशेखर ने केवल 14 साल की उम्र में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए. चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया गया और जब वे जज के सामने प्रस्तुत हुए तो उन्होंने अपना परिचय कुछ ऐसे दिया- मेरा नाम आजाद है, पिता का नाम स्वतंत्र और मेरा निवास यानी की घर कारावास है.

यह भी पढ़ें: पूरे देश में इस सप्ताह मेहरबान रहेगा मानसून, इन राज्यों में हो सकती है भारी बारिश

वर्ष 1922 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन अचानक बंद करने की घोषणा होने के बाद उनकी विचारधारा में बदलाव आया. इसके तुरंत बाद वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये. अब आजाद का रास्ता गांधी जी के तरीकों से काफी अलग है. इसके बाद आजाद ने सरकारी खजानों को लूटना शुरू किया और भारत की आजादी के लिए धन जुटाना शुरू कर दिया.

आजाद का मानना था कि ये धन भारतीयों का है जिसे अंग्रेज लूट रहे हैं. इसके बाद 1925 में आजाद ने काकोरी षडयंत्र में सक्रिय भाग लिया. शेखर आजाद ने 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था. चंद्रशेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव (ये सुखदेव भगत सिंह के साथी नहीं हैं) और अपने एक अन्य क्रांतिकारी मित्र के साथ अंग्रेजों के खिलाफ कुछ योजना बना रहे थे कि तभी कुछ अंग्रेज पुलिसवालों ने उनपर हमला कर दिया. आजाद ने सुखदेव को बचाने के लिए अंग्रेजों पर गोलियां चलाना शुरू किया लेकिन अंग्रेजों की गोलियां आजाद को लग गईं.

यह भी पढ़ें: चांद के बाद अब इसरो की नजर सूरज पर, जानिए क्‍या है मिशन का नाम

आजाद पुलिस की गोलियों से आजाद घायल हो गए. चंद्रशेखर आजाद घायल होने के बावजूद 20 मिनट तक अंग्रेज पुलिसवालों से लड़ते रहे और अंतत: उन्होंने खुद को गोली मार ली. इलाहाबाद के जिस पार्क में उनका निधन हुआ, उस पार्क को आज चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से आज जाना जाता है.

HIGHLIGHTS

23 जुलाई को चंद्रशेखर आजाद की है जयंती.

अपने भेष बदलने की कला के कारण अंत तक पकड़ में नहीं आए थे आजाद.

14 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन से जुड़े थे. 

Bal Gangadhar Tilak Chandra Shekhar Azad Indian Freedom Movement 23 july 2019 mk gandhi college mumbai chandra shekhar azad in hindi
Advertisment
Advertisment