कहते हैं जहां चाह होती है, वहीं राह होती है। इसका ताजा उदाहरण लखनऊ की गौरी तोड़ारिया है। ऑब्सेसिव-कम्पलसिव डिसऑर्डर (ओसीडी) से पीड़ित गौरी ने सीबीएसई से 10वीं की परीक्षा में 10 कुम्युलेटिव ग्रेड प्वांइट एवरेज (सीजीपीए) के साथ पास की। गौरी लखनऊ के रानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा है।
गौरी ने अपनी इस बीमारी का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पर इसका असर नहीं पड़ने दिया। गौरी बताती है,' दिमाग आपके नियंत्रण में नहीं होता है। मरीज को फैसला लेने में परेशानी होती है और परिस्थिति का समझने की क्षमता भी नहीं होती।'
ट्रीटमेंट से पहले मुश्किल परिस्थितियों में गौरी नर्वस हो जाती थी और रोने लगती थी। इस समस्या से निकलने पहले गौरी अपने पिता कमल किशोर की तरह एक्यूट डिप्रेशन का शिकार भी हुई।
कंपनी सेक्रेटरी बनने का लक्ष्य रखने वाली 16 साल की गौरी ने बताया,' मेरा ब्लड प्रेशर गिर जाता था, औऱ भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।'
गौरी की इस परेशानी को सबसे पहले उसके स्कूल टीचर ने नोटिस किया। उन्होंने इस बारे में गौरी के पैरेंट्स को जानकारी दी। 9वीं क्लास के दौरान गौरी की इस बीमारी का पता चला।
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क्या होता है ओसीडी
ओसीडी एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जिसमें अनावश्यक चिंता, वहम या गैरजरूरी विचार बुरी तरह से दिमाग को अपने कब्जे में ले लेते हैं। रोगी कुछ और सोचने-समझने के लिए सक्षम नहीं रह पाता है। इस बीमारी से पीडित रोगियों को रूटीन कामों और विचारों को ठीक तरह से संचालित करने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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Source : News Nation Bureau