आज भारत के भौतिक शास्त्री और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा का जन्म हुआ था. 30 अक्टूबर 1909 को भाभा का जन्म मुंबई में हुआ था. अक्टूबर 1965 में वैज्ञानिक भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो पर घोषणा की थी कि अगर उन्हें छूट मिले तो वो भारत सिर्फ 18 महीने में परमाणु बम बनाकर दिखा सकते हैं. भाभा का ये भी मानना था कि अगर भारत को इस पूरे क्षेत्र में बड़ी शक्ति बनकर उभरना है तो उसे परमाणु कार्यक्रम लॉन्च करना पड़ेगा.
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इस परमाणु कार्यक्रम का मकसद क्षेत्र में शांति के साथ ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना, खेती और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करना था लेकिन इसके पीछे उनका एक छिपा हुआ एजेंडा परमाणु बम बनाकर देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी था. हालांकि भाभा का ये सपना तब पूरा हुआ जब भारत ने 18 मई 1974 को पोखरण में पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण कर लिया. इस बम का कोड रखा गया था स्माइलिंग बुद्धा.
छोटी सी उम्र में चांत तारों के लिए जागा था प्रेम-
डॉक्टर भाभा को 5 बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया लेकिन विज्ञान की दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान उन्हें मिल नहीं पाया. भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया. भाभा ने 1944 में कुछ वैज्ञानिकों की सहायता से न्यूक्लियर एनर्जी पर शोध कार्यक्रम शुरू किया था.
डॉ होमी जहांगीर भाभा जब छोटे थे तो चांद तारों और अंतरिक्ष के सम्बन्ध में उनकी बड़ी जिज्ञासा थी. जब वे रात को सोते थे तो कई घंटों तक उन्हें नीद नहीं आती थी. इसकी वजह कोई बीमारी नहीं थी बल्कि उनके दिमाग में विचारों की तीव्रता के कारण ऐसा होता था. मात्र जब पन्द्रह वर्ष के भाभा हुए तो इन्होने महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को समझ लिया था.
इंजीनियरिंग पढ़ाई के दौरान भी कम नहीं हुआ फिजिक्स के लिए प्यार-
उन्होंने मुंबई से कैथड्रल और जॉन केनन स्कूल से पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई और रोयाल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी पास किया. मुंबई से पढ़ाई पूरी करने के बाद भाभा साल 1927 में इंग्लैंड के कैअस कॉलेज, कैंब्रिज इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रहकर सन् 1930 में स्नातक उपाधि अर्जित की.
सन् 1934 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. जर्मनी में उन्होंने कास्मिक किरणों पर अध्ययन और प्रयोग किए. हालांकि इंजीनियरिंग पढ़ने का निर्णय उनका नहीं था. यह परिवार की ख्वाहिश थी कि वे एक होनहार इंजीनियर बनें. इसके बाद उन्होंने सबकी बातों का ध्यान रखते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई जरूर की. लेकिन अपने प्रिय विषय फिजिक्स से भी खुद को जोड़े रखा. न्यूक्लियर फिजिक्स के प्रति उनका लगाव जुनूनी स्तर तक था. उन्होंने कैंब्रिज से ही पिता को पत्र लिख कर अपने इरादे बता दिए थे कि फिजिक्स ही उनका अंतिम लक्ष्य है.
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एक प्लेन क्रैश बनी भाभा की मौत का कारण-
भारत के महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा 1966 में एयर इंडिया के जिस बोइंग विमान में सवार थे उसका फ्रेंच ऐल्प्स के मो ब्लां में क्रैश हो गया था. इसमें भाभा सहित 165 लोगों की जान चली गई थी. मॉन्ट ब्लॉ में लोगों के शवों के अवशेष भी मिले थे, भाभा उस विमान से एक परमाणु कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वियना जा रहे थे. कहा जाता है कि होमी जहांगीर भाभा के प्लेन क्रैश में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA का हाथ था.
TBRNEWS.ORG नाम की वेबसाइट के दावों के अनुसार, 11 जुलाई 2008 को एक पत्रकार ग्रेगरी डगलस ऍऔर सीआईए के अधिकारी रहे रॉबर्ट टी क्राओली के बीच इसको लेकर बातचीत हुई थी जिसको इस वेबसाइट ने सार्वजनिक किया है.
पत्रकार और सीआईए अधिकार के बीच हो रही बातचीत में भाभा का जिक्र करते हुए कहा जा रहा है कि, आप जानते हैं उस समय हम काफी मुश्किल में थे क्योंकि 1960 के दशक में भारत परमाणु बम बनाने पर उतारू हो गया था और इसमें उसकी मदद रूस कर रहा था'
आगे उस अधिकारी ने कहा, 'मुझ पर भरोसा करो वो ( भाभा) खतरनाक थे. उनके साथ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. वो परमाणु को लेकर और परेशानी बढ़ाने के लिए वियना जा रहे थे कि तभी बोइंग 707 विमान के कार्गो में रखे बम से धमाका हो गया.'
Source : News Nation Bureau