Coronavirus (Covid-19): कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन (Lockdown) लगा हुआ है. जिसके चलते घर से बाहर निकलना पूरी तरह से मना है. इस दौरान बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन (Online) हो रही है. लेकिन इसके लिए मोबाइल में अच्छे नेटवर्क का होना बहुत जरूरी है. ऑनलाइन पढ़ाई (Online Class) में सबसे बड़ा बाधक कमजोर नेटवर्क ही है. लेकिन तमार परेशानियों के बावजूद भी, जो इस पर विजय प्राप्त कर ले, वही विजेता है. कुछ ऐसा ही कोलकाता के एक टीचर ने कर दिखाया है. सोशल मीडिया (Social Media) पर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं.
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पेड़ पर मचान बनाकर ले रहे हैं क्लास
सुब्रत (Subrat Pati) कोलकाता के दो शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाते हैं. वो इन संस्थानों में हिस्ट्री यानी इतिहास विषय के टीचर हैं. लॉकडाउन की घोषणा के वक्त सुब्रत बांकुरा में अपने गांव अहांदा में थे. उन्हें गांव से ऑनलाइन क्लास लेनी थी, लेकिन गांव में नेटवर्क की काफी दिक्कत है. वो रोज पेड़ पर चढ़कर स्टूडेंट्स की क्लास लेते हैं. 35 साल के सुब्रत पाती ने एक नीम के पेड़ पर मचान बनाकर उसे अपना क्लासरूम बना लिया है. वैसे सुब्रत चाहते तो इस समस्या के सामने घुटने टेक देते और क्लास लेने से मना कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि समस्या का हल निकाला.
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गर्मी, बारिश और शौचालय को लेकर काफी हो रही परेशानी
सुब्रत ने बताया कि जब उसे नेटवर्क की काफी परेशानी होती थी, तो उन्होंने पहली बार पेड़ पर चढ़कर देखा तो फोन में नेटवर्क सही आने लगा. इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से बांस की खपच्चियों और पुआल को रस्सी से बांधकर एक प्लेटफॉर्म बनाया और उसे घर के पास के एक नीम के पेड़ पर उसकी शाखाओं के बीच फंसाकर रख दिया. अब घंटों भर सुब्रत अपना खाना-पीना वहीं रख रहे हैं. लेकिन उन्हें गर्मी से काफी परेशानी होती है. लेकिन बच्चों की पढ़ाई के सामने सुब्रत की गर्मी भी घुटने टेक दिया है.
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सुब्रत जैसे शिभक बहुत कम ही होते हैं- समित रे
लेकन शौचालय को लेकर दिक्कत होती है. बारिश भी परेशान करने से बाज नहीं आती है. सुब्रत मुस्कुराते हुए कहते हैं 'मेरी क्लास में बच्चों की अटेंडेंस भी अच्छी रहती है, इससे मेरा कॉन्फिडेंस और बढ़ता है. इसलिए मैं नहीं चाहता कि उनकी पढ़ाई में कोई समस्या आए. बता दें कि अडामास यूनिवर्सिटी के चांसलर समित रे ने भी कहा कि संस्थान को सुब्रत पाती पर गर्व है. सुब्रत इस बात का उदाहरण हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से किसी भी बाधा को दूर किया जा सकता है. सुब्रत जैसे टीचर ही आने वाली पीढ़ी के सामने मिसाल रखते हैं कि शिक्षक बनने का अर्थ है कड़ी परीक्षा से गुजरना और अपने छात्रों के लिए पूरी तरह समर्पित होना.