भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी (abhijeet banerjee) को 2019 का अर्थशास्त्र (economics) का नोबेल पुरस्कार (noble prize) दिया गया है. उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को भी यह पुरस्कार दिया गया है. वैश्विक गरीबी को कम करने में अहम भूमिका निभाने के लिए उन्हें यह गौरव हासिल हुआ है. अभिजीत बनर्जी JNU, दिल्ली के छात्र रहे हैं. अभिजीत अभी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रेाफेसर हैं. आइए जानते हैं उनके सफर के बारे में:
- सोमवार को नोबेल पुरस्कार समिति ने इकोनॉमिक्स साइंस के विजेताओं के नाम का ऐलान किया, जिसमें अभिजीत बनर्जी का नाम भी शामिल था.
- बनर्जी के साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को भी यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिए जाने का ऐलान किया गया.
- अभिजीत, एस्थर और माइकल को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है.
- इकोनॉमिक्स में इससे पहले 1998 में अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
- अभिजीत नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल की आठवीं हस्ती हैं.
- अभिजीत ने दुनिया को राह दिखाने के लिए इकोनॉमिक्स पर कई किताबें लिखी हैं.
- पहली किताब 2005 में वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ लिखी थी। पर प्रसिद्धि मिली 2011 में आई इनकी किताब ‘पूअर इकोनॉमिक्स: ए रेडिकल रीर्थींकग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी’से.
- अभिजीत बनर्जी ने हार्वर्ड से पीएचडी पूरी करने के एक दशक बाद 1999 में मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से जुड़े.
महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं
- ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के पूर्व अध्यक्ष
- एनबीईआर के रिसर्च एसोसिएट, सीईपीआर के रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के अध्यक्ष
शैक्षणिक परिचय
- कोलकाता के साउथ प्वाइंट से प्रारंभिक शिक्षा
- 1981 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीएससी
- 1983, जेएनयू से पीजी
- 1988, हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी
उपलब्धियां
- प्रोफेसर: मैसाचुसेट्स
- इंफोसिस अवॉर्ड: 2009, सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में गेराल्ड लैब अवॉर्ड: 2012
- संयुक्त राष्ट्र टीम में शामिल : 2013, चयन महासचिव बान की मून ने किया था
- बर्नहार्ड अवॉर्ड: 2014, कील इंस्टीट्यूट फॉर वल्र्ड इकोनॉमिक्स की ओर से
भारत सरकार को यह सलाह दी
- सभी गरीबों को कम से कम 15 साल तक नकद मदद दी जाए
- मुफ्त वैश्विक स्वास्थ्य बमा योजना में सभी गरीबों को लाया जाए
- 200 यार्ड के भीतर सभी गरीबों को साफ पीने का पानी मिले
- टीकाकरण जैसे कार्यक्रमों के साथ आर्थिक प्रोत्साहन दिए जाएं
- प्राथमिक शिक्षा में पढ़ने-लिखने और गणित पर ही जोर हो
न्याय' योजना के शिल्पकार थे अभिजीत बनर्जी
साल के मध्य में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 'न्याय' योजना पेश की थी जिसको लेकर दुनियाभर में बेहद चर्चा हुई. इस खास 'न्याय' योजना के शिल्पकार थे अभिजीत बनर्जी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार मिलने पर बधाई देते हुए बताया कि बनर्जी ने 'न्याय' योजना को तैयार करने में मदद की थी.
नोटबंदी के आलोचक
अभिजीत बनर्जी ने मोदी सरकार की नोटबंदी योजना का विरोध किया था. इस फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा था कि दर्द शुरू होने की आशंका से दर्द कहीं अधिक होगा. कई लोग महसूस करते हैं कि मौजूदा आर्थिक तनाव की जड़ें नोटबंदी में ही है.
पूरा परिवार इकोनॉमिक्स से जुड़ा
- अभिजीत का पूरा परिवार अर्थशास्त्र से जुड़ा हुआ है.
- अभिजीत की मां और पिता भी अर्थशास्त्री रहे हैं.
- उनकी मां निर्मला बनर्जी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टजीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रही हैं.
- पिता दीपक बनर्जी कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर रहे हैं.
एस्थर डुफ्लो
- अर्थशास्त्र में नोबेल सम्मान पाने वाली दूसरी महिला
- एस्थर डुफ्लो अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाली दुनिया की दूसरी महिला हैं
- एस्थर डुफ्लो का 1972 को पेरिस में जन्म हुआ
- फ्रांसीसी मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री डुफ्लो ने इतिहास और अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की
- 1994 में पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से एमए की डिग्री ली
- 1999 में एमआईटी से पीएचडी भी की
- एमआईटी में ही पॉवर्टी एलेविएशन ऐंड डिवेलपमेंट इकनॉमिक्स की प्रोफेसर हैं एस्थर डुफ्लो
- अभिजीत बर्जी की देखरेख में ही पीएचडी पूरी की
- डुफ्लो ने अभिजीत बनर्जी के साथ मिलकर कुछ पुस्तकें भी लिखीं
कई उपलब्धियां
- जे-पाल की सह-संस्थापक और सह-निदेशक हैं
- बनर्जी संग गरीबी अर्थशास्त्र : वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने के तरीकों पर तार्किक पुनर्विचार शोधपत्र लिखा
- इसके लिए 2011 में फाइनेंशियल टाइम्स एंड गोल्डमैन सैश बिजनेस बुक ऑफ द इयर पुरस्कार मिला
- 2015 र्का प्रसेस ऑफ ऑस्ट्रियास अवॉर्ड फॉर सोशल साइंसेस, 2015 का ए.एसके सोशल साइंस अवॉर्ड मिला।
माइकल क्रेमर
20 साल से हार्वर्ड में प्रोफेसर, पीड़ितों की मदद पर शोध
क्रेमर ने दुनियाभर में पीड़ित लोगों की मदद करने के प्रयास पर अपना शोध केंद्रित किया. वह अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के फेलो हैं.
मैकआर्थर फैलोशिप (1997) व एक राष्ट्रपति संकाय फैलोशिप मिल चुका है। उनका इनोवेशन ऑन पॉवर्टी एक्शन संगठन सामाजिक व अंतर्राष्ट्रीय विकास समस्याओं के समाधान का मूल्यांकन करता है. वह हार्वर्ड-आधारित संगठन वल्र्डटच के संस्थापक और अध्यक्ष हैं.
- माइकल रॉबर्ट क्रेमर का जन्म 12 नवंबर, 1964 को अमेरिका में हुआ
- हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक किया
- 1992 में अर्थशास्त्र में हार्वर्ड से पीएचडी की
- 1993 में शिकागो विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर बने
- 1993 से 1999 तक एमआईटी में प्रोफेसर
- 1999 से हार्वर्ड में प्रोफेसर हैं
टीकों को लेकर किया काम
विकासशील देशों में टीकों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए तंत्र बनाने को लेकर काम किया। आरंग थ्योरी ऑफ इकोनोमिक्स डेवलपमेंट सिद्धांत बनाया.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो