वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नयी शिक्षा नीति तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन (K Kasturirangan) ने कहा कि नयी शिक्षा नीति (New Education Policy) में कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं गई है और त्रिभाषा फार्मूले को लेकर लचीला रूख प्रस्तावित किया गया है. इसरो (ISRO) के पूर्व प्रमुख ने कहा कि पांचवीं कक्षा तक निर्देश का माध्यम स्थनीय भाषा (Language) अपनाना शिक्षा के प्रारंभिक चरण में महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चा अपनी मातृभाषा और स्थानीय भाषा में चीजों के प्रति अच्छे से समझा बनाता है और अपनी रचनात्मकता व्यक्त करता है.
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गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी. नीति के अनुसार, नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है और यह आठवीं कक्षा तक भी हो सकता है. त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे.
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कस्तूरीरंगन ने कहा, ‘कम उम्र में बच्चों में कई भाषाओं को अपनाने की बड़ी क्षमता होती है. नीति में त्रिभाषा फार्मूले के बारे में लचीला रूख है. राज्यों में इसे कैसे लागू किया जायेगा, इस पर उन्हें निर्णय करना है. नीति में कोई भाषा किसी पर थोपी नहीं गई है. उन्होंने कहा कि हमने निर्देश के माध्यम के रूप में मातृ भाषा, क्षेत्रीय भाषा या स्थानीय भाषा का विकल्प सुझाया है.'