नई शिक्षा नीति पर अगर सरकार ने के कस्तूरीरंगन कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया तो देशभर के निजी स्कूलों को अगले तीन वर्षों में अपने नाम से 'पब्लिक' शब्द हटाना पड़ सकता है. हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, के. कस्तूरीरंगन कमेटी का कहना है कि निजी व्यक्तियों या संस्थानों के स्वामित्व वाले स्कूलों के नाम में "पब्लिक" नहीं लगाया जाना चाहिए. केवल सरकारी स्कूलों को ही इस शब्द का उपयोग करना चाहिए.
पूर्व ISRO प्रमुख की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले सप्ताह प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दलील दी है कि निजी स्कूल किसी भी संचार, प्रलेखन या स्थिति की घोषणा में अपने नाम में 'पब्लिक' शब्द का उपयोग नहीं करेंगे. इस बदलाव का असर तीन साल के भीतर सभी निजी स्कूलों पर दिखने लगेगा. पब्लिक स्कूल केवल वे होंगे जिन्हें सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित किया जाता है, यानी सरकारी स्कूल (राज्य के किसी भी निकाय द्वारा संचालित स्कूल सहित) और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल.
सिफारिश में देश भर के उन हजारों निजी स्कूलों के लिए भारी निहितार्थ हो सकते हैं जो उनके नाम में "पब्लिक" शब्द का उपयोग करते हैं. बता दें कि दिल्ली के प्रमुख निजी स्कूलों में जो अपने नाम में "पब्लिक" का उपयोग करते हैं, वे हैं दिल्ली पब्लिक स्कूल, द फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल और बाल भारती पब्लिक स्कूल.
कमेटी ने माना है कि आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित शर्तों के अलावा राज्य सरकारें मुनाफाखोरी को हतोत्साहित करने के लिए स्कूलों के लिए अतिरिक्त लेखांकन और रिपोर्टिंग मानकों को निर्धारित कर सकती हैं.
दिल्ली पब्लिक स्कूल एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष वीके शुंगलू ने इस बारे में कहा, "कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशें अभी एक मसौदा रिपोर्ट का हिस्सा हैं, जिस पर सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. हम सभी हितधारकों से परामर्श करेंगे. DPS अकेला ऐसा संस्थान नहीं है, जिसके नाम में पब्लिक शब्द लगा है. इससे भी बड़ी बात यह है कि हमारे पास ऐसे 200 स्कूल हैं, हमें बहुत नपी-तुली प्रतिक्रिया देनी होगी.
दिल्ली के मदर डिवाइन पब्लिक स्कूल के प्रशासक मनन बुधराजा ने कहा कि इस कदम से न केवल लोगों को बल्कि स्कूलों को भी फायदा होगा.
बुधराजा ने कहा कि पब्लिक शब्द स्कूलों के नाम से हट जाने से माता-पिता को स्कूलों को चयन करने में सहूलियत मिलेगी. इससे स्कूलों को भी मदद मिलेगी, क्योंकि लोग अधिक जागरूक होंगे और विभिन्न स्कूलों के कामकाज को बेहतर ढंग से जान सकेंगे.
HIGHLIGHTS
- केवल सरकारी स्कूलों को ही पब्लिक शब्द का इस्तेमाल करने की सिफारिश
- कमेटी की राय, केवल तीन साल में ही दिखने लगेगा इस बदलाव का असर
Source : News Nation Bureau