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होमवर्क से ज्यादा बच्चों के लिए सोना जरूरी, शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश

प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए सोने का समय रात 9 बजे तय किया गया है

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Sushil Kumar
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होमवर्क से ज्यादा बच्चों के लिए सोना जरूरी, शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश

स्कूली बच्चे( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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स्कूली बच्चों पर शुरू से ही बहुत ज्यादा लोड होता है. वर्तमान समय प्रतियोगिता का है. प्रतियोगिता के दौर में हर कोई अव्वल बनना चाहता है. अव्वल तभी बनेंगे जब दूसरों को पछाड़ देंगे. इसी वजह से बच्चों के नाजुक कंधों पर जरूरत से ज्यादा लोड रख दिया जाता है. साथ ही दूसरों से आगे बढ़ने का दबाव हमेशा बना रहता है. प्रतियोगिता परीक्षा पास करने के लिए हमेशा ये दबाव बना रहता है. ताकि अच्छे कॉलेज में एडमिशन और अच्छी नौकरी मिल जाए.

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इसी वजह से माता-पिता अपने बच्चों पर दबाव बनाए रहते हैं. लेकिन चीन से एक खबर आ रही है कि स्कूली बच्चों के लिए होमवर्क से ज्यादा सोना जरूरी है. चीन में एक प्रस्ताव पास हुआ है जिसके तहत हर माता-पिता को अपने बच्चों को 10 बजे से पहले सुलाना है. चाहे होमवर्क हुआ हो या नहीं. वहीं दुसरी तरफ चीन के झेजियांग के अलावा दूसरे शहर में भी चर्चा का विषय बना हुआ है. यह नया नियम जारी कर दिया गया है. बच्चों पर अब होमवर्क का ज्यादा लोड नहीं बना सकते हैं. उसके स्वास्थ्य के लिए सोना जरूरी है. नए नियमों के अनुसार, इस प्रांत के हर बच्चे को 10 बजे से पहले सोना अनिवार्य है. इसके अलावा अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए ट्यूटर रखने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

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प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए सोने का समय रात 9 बजे तय किया गया है. बच्चों के लिए खास बात यह है कि चाहे होमवर्क हुआ हो या नहीं, अगर घड़ी में 9 बज गए हैं तो बच्चे सीधे विस्तर पर चले जाएं. बच्चों के माता-पिता इस फैसले क लेकर काफी आक्रोश में हैं. वे इसकी आलोचना कर रहे हैं. अभिभावकों ने इस फैसले को 'होमवर्क कर्फ्यू' करार दिया है.

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इसके अलावा शिक्षा विभाग ने यह भी सुझाव दिया है कि छुट्टियों व वीकेंड पर बच्चों से अधिक पढ़ाई न कराई जाए. माता-पिता बच्चों पर पढ़ाई का दबाव इसलिए बनाते हैं, क्योंकि चीन की यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए गाओकाओ परीक्षा देनी पड़ती है. यह सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है. यूनिवर्सिटी में प्रवेश का एकमात्र यही रास्ता है. इसलिए माता-पिता स्कूल से ही बच्चों पर ज्यादा दबाव बनाते हैं. कई अभिभावक सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं.

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