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IAS Success Story: 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी के बावजूद कायम रहा जज्बा, झुग्गी से निकलकर UPSC में हासिल की सफलता

उम्मुल को बचपन से ही हड्डियों की एक दुर्लभ बीमारी थी, जिसकी वजह से उनकी हड्डियां बेहद कमजोर थीं. इस बीमारी के कारण उम्मुल को 16 बार फ्रैक्चर हुए और 8 बार सर्जरी करवानी पड़ी.

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Priya Gupta
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Success Story

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Success Story: उम्मुल खेर की कहानी उस साहस और जज़्बे की मिसाल है, जो हर मुश्किल को पीछे छोड़ते हुए अपने सपनों को हकीकत में बदलने का जुनून रखती है. राजस्थान की रहने वाली उम्मुल का बचपन बहुत संघर्षों से भरा हुआ था. उनका पालन-पोषण दिल्ली की त्रिलोकपुरी की झुग्गियों में हुआ. उनके पिता कपड़े बेचने का काम करते थे, और घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी.

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परिवार वालों ने नहीं किया सपोर्ट

उम्मुल को बचपन से ही हड्डियों की एक दुर्लभ बीमारी थी, जिसकी वजह से उनकी हड्डियां बेहद कमजोर थीं. इस बीमारी के कारण उम्मुल को 16 बार फ्रैक्चर हुए और 8 बार सर्जरी करवानी पड़ी. इतनी शारीरिक तकलीफों के बावजूद उम्मुल ने कभी हार नहीं मानी. उनके अंदर कुछ कर दिखाने का हौसला था, जो उन्हें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता था.

हालातों से मजबूर होकर उम्मुल ने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. एक एनजीओ की मदद से उन्होंने दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की. लेकिन दसवीं के बाद, उनके परिवार ने उनकी पढ़ाई जारी रखने में रुचि नहीं दिखाई. उम्मुल ने इस चुनौती का सामना किया और पढ़ाई छोड़ने के बजाय घर छोड़ दिया. उन्होंने झुग्गियों में रहकर अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी की और 91 प्रतिशत नंबर हासिल किए.

पहले ही अटेंप्ट में पास की यूपीएससी परीक्षा

बारहवीं के बाद उम्मुल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एमए किया और फिर एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन लिया. इस दौरान, उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, यूपीएससी, की तैयारी भी शुरू कर दी.उम्मुल की मेहनत रंग लाई, और साल 2016 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा अपने पहले ही प्रयास में 420वीं रैंक के साथ पास की. यह सफलता न केवल उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति की गवाही है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अगर आपके पास हौसला और मेहनत करने का जज्बा है, तो कोई भी बाधा आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती.

उम्मुल खेर की यह कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी जिंदगी के संघर्षों को देखकर यह समझ आता है कि असली जीत वही होती है जो कठिनाइयों के बावजूद हासिल की जाए.उम्मुल ने अपनी शारीरिक और आर्थिक परेशानियों को कभी अपने रास्ते की दीवार नहीं बनने दिया. उनकी यह सफलता उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है जो जीवन में मुश्किलों से हार मान जाते हैं.

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