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9 साल में स्कूल, 21 साल में पीएचडी कर ली, जानिए आज कहां है तथागत अवतार तुलसी

तुलसी ने 9 साल की उम्र में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर ली थी. इसके बाद, 11 साल की उम्र में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) की डिग्री प्राप्त की, लेकिन आज वह बेरोजगार हैं.

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Priya Gupta
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photo-Social Media

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Success Story: तथागत अवतार तुलसी, एक ऐसा नाम जो भौतिकी की दुनिया में चमकता सितारा माना जाता है, फिलहाल बेरोजगार हैं. यह जानकर हैरानी हो सकती है, लेकिन यही सच्चाई है. तुलसी का जन्म 9 सितंबर 1987 को बिहार में हुआ था और उनकी प्रारंभिक शिक्षा में ही उनकी प्रतिभा ने सबको हैरान कर दिया था.तुलसी ने केवल 9 साल की उम्र में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर ली थी. इसके बाद, 11 साल की उम्र में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) की डिग्री प्राप्त की, जो अपने आप में एक अद्भुत उपलब्धि थी.

 21 साल की उम्र में वहां से पीएचडी कर ली

केवल 12 साल की उम्र में उन्होंने मास्टर ऑफ साइंस (MSc) की डिग्री भी हासिल कर ली. इसके बाद, तुलसी ने बैंगलोर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) में पीएचडी करने का निर्णय लिया और 21 साल की उम्र में वहां से पीएचडी पूरी कर ली.आईआईएससी में तुलसी की पीएचडी थीसिस का विषय "क्वांटम खोज एल्गोरिथ्म का जनरलाइजेशन" था. उन्होंने लोव ग्रोवर के साथ मिलकर एक रिसर्च पेपर लिखा, जिसका शीर्षक था "ए न्यू एल्गोरिथ्म फॉर फिक्स्ड-पॉइंट क्वांटम सर्च". हालांकि, यह रिसर्च कभी प्रकाशित नहीं हो पाई. आईआईएससी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के डीन ने तुलसी की सराहना की थी.

अचानक पड़ गए बीमार

साल 2010 में, आईआईटी-मुंबई ने तुलसी को एक कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर पढ़ाने का ऑफर दिया. हालांकि, उनकी किस्मत ने कुछ और ही मोड़ लिया. 2011 में, उन्हें अचानक तेज बुखार आया, इस स्वास्थ्य समस्या के कारण, तुलसी ने 2013 में आईआईटी-मुंबई से चार साल की छुट्टी ले ली और पटना चले गए.समय के साथ, तुलसी की स्थिति और भी जटिल हो गई. 2019 में, उन्हें आधिकारिक तौर पर आईआईटी-मुंबई से हटा दिया गया, जिसके बाद से वे बेरोजगार हो गए. वर्तमान में, तुलसी ने अपने जीवन की नई दिशा के रूप में कानून की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया है.

तथागत अवतार तुलसी की यात्रा एक प्रेरणा है कि कैसे एक व्यक्ति के पास प्रतिभा और मेहनत करने के बाद भी अचानक बदले हालात और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण प्रभावित हो सकती है. मेहनत और प्रतिमा के साथ-साथ कभी-कभी किस्मत का साथ देना भी जरूरी होता है. उनकी कहानी यह भी दर्शाती है कि असफलताओं और कठिनाइयों के बावजूद, एक इंसान अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर रह सकता है और नई दिशा में आगे बढ़ सकता है. जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है. 

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