Unique School: भारत की शिक्षा व्यवस्था एक समय पर विश्व में सबसे बेहतरीन थी. विदेशों से लोग भारत में शिक्षा ग्रहण करने आते थे. नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे शिक्षण संस्थानों का पूरी दुनिया में दबादबा था. भारत में पहले गुरूकुल की परंपराए थी. लेकिन वक्त के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था में बदलाव देखने को मिले. आज हालात ये हैं कि बच्चों को भारी-भरकम बोझ उठाना पड़ता है. स्कूलों में आज पढ़ाई से ज्यादा उनके कपड़े और किताबों पर ध्यान दिया है. शिक्षा की गुणवत्ता कम होती जा रही है. शिक्षा का अर्थ किसी भी बच्चों को एक बेहतरीन इंसान बनाना है. लेकिन आज की शिक्षा व्यवस्था केवल किताबी ज्ञान पर आधारित रह गई है.
आज की शिक्षा केवल नौकरी लेने के लिए हो गई है
न ही किसी को नैतिक मूल्य सीखाए जाते हैं न ही एक आदर्श जीवन जीवन जीने का तरीका बताती है. पढ़ाई आज के समय में केवल नौकरी लेने का साधन है. ऐसे में कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां पर शिक्षा का सही अर्थ सीखाया जाता है.सूरत में स्थित नालंदा गुरूकुल विद्यालय इन सब पैमानों पर खरा उतरता है. क्योंकि यहां पर बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी बातें भी सीखाई जाती है. यहां के स्टूडेंट्स को भारी-भरकम बैग लेकर नहीं जाना पड़ता.
इस स्कूल के बच्चे नहीं देते बेवजह के एग्जाम
यहां पढ़ने वाले बच्चे किसी भी समय गुरुकुल में आ सकते हैं और जब मन हो यहां से जा सकते हैं. नालंदा गुरुकुल विद्यालय में पिछले 25 सालों से स्टूडेंट्स बिना तनाव के बच्चों को शिक्षा दे रहा है. अपनी इसी खूबी के चलते यह स्कूल बच्चों और पेरेंट्स के बीच फेमस हो चुका है. यहां मिलने वाली शिक्षा से स्टूडेंट्स के ग्रेड के साथ स्टूडेंट्स भी बेहतर हो रहे हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ता है.
नालंदा गुरुकुल विद्यालय के फाउंडर बंकिम उपाध्याय कहते हैं कि हम बोर्ड एग्जाम के अलावा किसी भी तरह के एग्जाम आयोजित नहीं करवाते हैं. यहां स्टूडेंट्स सभी विषय पढ़ते हैं, लेकिन किताबों से मिलने वाली शिक्षा के अलावा उन्हें जिंदगी के जरूरी सबक सिखाए जाते हैं.यहां पर स्टूडेंट्स विषयों के साथ स्किल भी सीखाते हैं.हर बच्चों को उनके स्ट्रेन्थ के हिसाब से करियर गाइडलाइन दिया जाता है. यहां के बच्चे किताबों के साथ-साथ अपने नोट्स खुद बनाता हैं.
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