विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्वायत्त कॉलेजों को बड़ी राहत दी है. आयोग की ओर से जारी नई गाइडलाइन के तहत ऑटोनोमस कॉलेजों को आवेदन अपने मूल विश्वविद्यालय के माध्यम से भेजने की जरूरत नहीं होगी. स्वायत्त कॉलेजों को अब यह सुनिश्चित करने की जरूरत नहीं होगी कि संविदा संकाय की संख्या कुल स्वीकृत संकाय पदों के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है. संबद्ध कॉलेज मूल विश्वविद्यालय के माध्यम से जाए बिना शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए सीधे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से संपर्क कर सकते हैं.
संशोधित दिशा-निर्देशों का मसौदा 2022 में हुआ था सार्वजनिक
2018 के दिशानिर्देशों में कहा गया कि "एक स्वायत्त कॉलेज में संविदा संकाय की संख्या कॉलेज में स्वीकृत संकाय पदों की कुल संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए", संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि "शिक्षण संकाय/प्रिंसिपल की सभी भर्तियां की जाएंगी. कॉलेजों को आवेदन अपने मूल विश्वविद्यालय के माध्यम से भेजने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि विश्वविद्यालयों को यूजीसी पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की जांच के लिए 30 दिन का समय मिलेगा. बता दें कि संशोधित दिशा-निर्देशों का मसौदा पहली बार अक्तूबर 2022 में सार्वजनिक किया गया था.
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एक महीने के भीतर सिफारिशें देना शामिल
यूजीसी पोर्टल पर स्वायत्त स्थिति के लिए कॉलेज के आवेदन की जांच करना एक महीने के भीतर कारणों या औचित्य के साथ अपनी सिफारिशें देना शामिल है. संशोधित मानदंडों के अनुसार यदि मूल विश्वविद्यालय 30 कार्य दिवसों के भीतर यूजीसी पोर्टल पर जवाब नहीं देता है तो यह मान लिया जाएगा कि मूल विश्वविद्यालय को यूजीसी द्वारा स्वायत्त स्थिति प्रदान करने के लिए आवेदन की प्रक्रिया पर कोई आपत्ति नहीं है. नए नियमों के मुताबिक, शुरुआत में 10 साल की अवधि के लिए स्वायत्त दर्जा दिया जाएगा, बशर्ते कॉलेज को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा न्यूनतम A' ग्रेड और 3.01 और उससे अधिक के स्कोर के साथ मान्यता प्राप्त हो.