दिल्ली विश्वविद्यालय का कॉलेज ऑफ आर्ट 1942 में स्थापित दिल्ली विश्वविद्यालय सह-संबंधित एक ऐसा संस्थान है, जो दृश्य कला प्रशिक्षण में अग्रणी है. यह महाविद्यालय ललित कला स्नातक (बीएफए) और ललित कला (एमएफए) में मास्टर डिग्री के लिए जाना जाता है. यह महाविद्यालय अपनी स्थापना के बाद से ही दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित रहा है. इसी को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह यहां दाखिले संबंधी जारी किया गया नोटिस वापस ले ले. दिल्ली विश्वविद्यालय ने अध्यादेश के जरिए कॉलेज एवं हॉल कैलेंडर (अधिनियम, कानून और अध्यादेश) के तहत कला महाविद्यालय (कॉलेज ऑफ आर्ट) को स्थायी संबद्धता प्रदान की है. कला महाविद्यालय रचनात्मकता प्रदान करने वाली संस्था है, जो पिछले 80 वर्षो से दिल्ली विश्वविद्यालय का एक अभिन्न अंग रहा है.
हालांकि दिल्ली सरकार चाहती है कि कला महाविद्यालय को अंबेडकर विश्वविद्यालय का हिस्सा बनाया जाए. इस पर डूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर एके भागी का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से अलग करके इस महाविद्यालय को 'स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स' विभाग अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में विलय या स्थानांतरित करने का अर्थ है कि इस कॉलेज को समाप्त किया जा रहा है. भारत की संसद में पारित दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार, कला महाविद्यालय को अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली या किसी अन्य विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं किया जा सकता है.
प्रोफेसर भागी ने बताया कि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार द्वारा 11 मई को जारी किया गया कॉलेज ऑफ आर्ट दाखिलों संबंधित नोटिस दोषपूर्ण और अवैध है. यह कला महाविद्यालय की अकादमिक स्वायत्तता और रचनात्मकता पर सीधा हमला है. दिल्ली सरकार इसे सीधे नियंत्रण में लेकर अपनी मनमानी करना चाहती है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने कला कॉलेज की असंबद्धता को लेकर कोई एनओसी नहीं दी है. कला महाविद्यालय का अंबेडकर महाविद्यालय दिल्ली का हिस्सा होना इस प्रसिद्ध महाविद्यालय के लिए एक अकादमिक आपदा है, जो डूटा को स्वीकार्य नहीं है.
डूटा का कहना है कि उनकी संस्था दिल्ली सरकार से मांग करती है कि वह कला महाविद्यालय को अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में विलय या स्थानांतरित करने के नाम पर स्थानांतरित या बंद न किया जाए. इससे पूर्व के सभी अनैतिक आदेशों के साथ-साथ नवीनतम दाखिले की सूचना वाला दिनांक 11 मई, 2022 का नोटिस भी वापस ले. साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज ऑफ आर्ट में बीएफए और एमएफए पाठ्यक्रमों में 2021-22 और 2022-23 सत्रों का प्रवेश तुरंत शुरू होना चाहिए. डूटा ने यह भी मांग की है कि यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार इस प्रमुख कॉलेज को निधि देने के लिए अनिच्छुक एवं असमर्थ है तो विश्वविद्यालय को कार्यकारी परिषद की एक आकस्मिक बैठक बुलानी चाहिए और कला कॉलेज को अपने अधिकार में लेने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- 11 मई को जारी किया था दाखिले संबंधी नोटिस
- डूटा ने दिल्ली सरकार के इस कदम का किया विरोध
- सरकार के नोटिस को बताया दोषपूर्ण और अवैध