अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने न्यूज नेशन से बातचीत में कहा कि हमने निर्णय लिया है कि अगर कोई छात्रा पूर्वोत्तर राज्यों या जम्मू कश्मीर से तकनीकी शिक्षा के संस्थान या विश्वविद्यालय में एडमिशन लेती है तो सीधे 5 लाख रुपये उनके खाते में जमा करा दिए जाएंगे, खासतौर पर कश्मीर घाटी की लड़कियों को न सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों में तकनीकी शिक्षा लेने में इससे मदद मिलेगी, बल्कि आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक का अकाउंट में पहुंचाई जाएगी. जिससे वह अपने आप को और अपने राज्य को आगे बढ़ा सके.
कोविड वॉरियर के बच्चों के लिए हो सकता है आरक्षण और स्कॉलरशिप का प्रावधान
राजीव कुमार ने आगे कहा कि हम गंभीरता से इस तरह विचार करेंगे कि जो हेल्थ सेक्टर डॉक्टर, पुलिस और सैन्य बल के जवान की मृत्यु महामारी से लड़ते समय हुई है, उनके बच्चों के लिए ना सिर्फ भविष्य में टेक्निकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी के अंतर्गत को सीटों को रिजर्व रखा जा सकता है ,बल्कि उन्हें स्कॉलरशिप भी दी जा सकती है.
भारतीय भाषाओं पर पूरा जोर
उन्होंने आगे कहा कि अभी तक उच्च शिक्षा का स्तर पर तकनीकी शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से होती थी. हमने शुरुआती स्तर पर 8 भाषाओं में सभी तकनीकी शिक्षा से जुड़ी पुस्तकों के अनुवाद के लिए समय सारणी बना दी है और जल्द ही इन 8 भाषाओं का चयन करके कोई भी स्टूडेंट अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेगा, धीरे-धीरे इन भाषाओं की संख्या को भी बढ़ाया जाएगा.
ब्लू प्रिंट तैयार बिना फिजिक्स, केमिस्ट्री ,मैथ के भी हो सकेगा इंजीनियरिंग में एडमिशन
एंट्रेंस के स्तर पर हमने संस्थानों को यह स्वायत्तता दी है कि वह चाहे तो बिना फिजिक्स केमिस्ट्री या मैथ विषय के छात्रों को भी एडमिशन में ले सकते हैं. हालांकि बाद में उन्हें आवश्यकता अनुसार इन विषयों की पढ़ाई करनी होगी. जैसे अगर कोई एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग करना चाहता है पर उसके पास एग्रीकल्चर तो थी पर मैथ नहीं थी तो वह अब इंजीनियरिंग कर सकता है. यही स्थिति बायो टेक्नोलॉजी में भी है जिन्हें फिजिक्स और केमिस्ट्री नहीं पढ़ाई गई, लेकिन बॉटनी पढ़ाई गई.
छोटे शहरों में टेक्निकल एजुकेशन पर जोर
हमारी कोशिश है कि टियर 2 और 3 शहरों में इंजीनियरिंग और टेक्निकल कॉलेज इंस्टीट्यूट को मदद मिल सके. इसके लिए हमने कहा है कि अगर कोई कॉलेज 50 लाख तक का सीएसआर फंड किसी कंपनी के जरिए लेता है तो हम भी 50 लाख रुपये देने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से तैयार हैं. इसके अलावा उन्हें अपनी इनोवेशन लेवर्टी को 24 घंटे सातों दिन खुले रखना होगा और जब संस्थान का काम नहीं चल रहा होगा. तब स्कूली छात्र या आसपास के इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट भी उस लैबोरेट्री का प्रयोग कर सकेंगे.
वर्चुअल हैकाथोन पर जोर ,आसियान और यूरोपियन देश में लेंगे भाग
विश्व की सबसे बड़ी है हैकाथोन तकनीकी क्षेत्र में भारत में होती है. इसे हम वर्चुअल तरीके से करने जा रहे हैं. इसमें सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया समेत आसियान देश और कई यूरोपियन देश भी भाग लेंगे. इसके जरिये हमारी कोशिश है कि इंजीनियरिंग कॉलेज और इंस्टीट्यूट में इनोवेशन पर जोड़ दिया जाए और ग्लोबल वॉर्निंग हो.
Source : News Nation Bureau