जिस प्रकार ताला नगरी अलीगढ़ की पहचान AMU और सिल्क साड़ी नगरी वाराणसी की पहचान BHU से होती हैं ठीक उसी प्रकार अविश्वसनीय परन्तु सत्य विश्व विख्यात पीतल नगरी मुरादाबाद की पहचान अब TMU के नाम से भी होने लगी है, जिसका एक मात्र श्रेय विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं कुलाधिपति बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री सुरेश जैन जी को जाता है, जिनके निरंतर भागीरथ प्रयास और अथक श्रम द्वारा ही यह सम्भव हो पाया है. इसी के साथ यह कहावत भी चरीतार्थ हो पाई है, 'पानी से नहाने से मात्र वस्त्र बदल जाते हैं, पसीने से नहाने से इतिहास भी बदल जाते हैं.
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विश्वविद्यालय की स्थपना उत्तर प्रदेश सरकार के एक्ट सेक्शन 30 के माध्यम से वर्ष 2008 में राष्ट्रीय राजमार्ग 24 दिल्ली से 140 किलोमीटर की दूरी पर मुरादाबाद में हुई थी. वर्तमान में 140 एकड़ भूमि पर स्थित विशाल परिसर जिसके अन्तर्गत UGC मान्यता प्राप्त 140 से अधिक पाठयक्रम 17 कॉलेजों के माध्यम से संचालित हैं.
शिक्षा सम्बंधी आवश्यकताओं के अतिरिक्त परिसर में छात्र-छात्राओं हेतु छात्रावास, विभिन्न प्रकार के खेल मैदान, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंडोर स्टेडियम, ऑडिटोरियम, व्यायामशाला, बैंक और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं.
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राष्ट्र के कोने-कोने और विदेशो से आये करीब 14000 विद्यार्थी 950 से अधिक अनुभवी और निपुण शिक्षकों के मार्ग दर्शन में मेडिकल, डेन्टल, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ, फाईन आर्ट, जर्नलिज्म, एग्रीकल्चर, एजुकेशन, इत्यादि व्यवसायिक पाठयक्रमो में विश्वस्तरीय शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विश्वविद्यालय का गौरव 1000 बेडों का अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित अस्पताल हर प्रकार के रोगों से पीड़ित करीब 2000 रोगियां का विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा प्रतिदिन अपनी सेवा मुफ्त तथा रियायती दरों पर दवाईयां उपलब्ध कराकर सामाजिक कर्तव्य का निर्वाह कर रहा है.
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केवल 10 वर्ष की अवधि में विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा क्षितिज पर अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल रहा है जिसका श्रेय हमारे विद्यार्थियों तथा कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों को जाता है, जिनके कारण TMU द्वारा प्रदत उच्च स्तरीय शिक्षा पाकर शत-प्रतिशत विद्यार्थी अपेक्षा अनुरूप सुगमतापूर्वक रोजगार प्राप्त कर अपने सुनहरे भविष्य की तरफ अग्रसर हैं. विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थि यों के विकास हेतु हमेशा नए-नए तरीके तलाशता रहता है, वह दिन दूर नहीं जब TMU अपने कुलाधिपति श्री सुरेश जैन जी द्वारा देखा गया श्स्वस्थ-शिक्षित-स्वावलंबी-संस्कार समाज का सपना साकार करने में सफल होगा.
Source : News Nation Bureau