केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि आगामी सत्र से देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले 'सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट' से किए जाएं. इसके लिए आवश्यक तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं. देश भर के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश व संवाद किया गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना अलग 'सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम टेस्ट' आयोजित किया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी द्वारा दिए गए निदेशरें के बाद अब अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय भी इस और तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका सीधा मतलब यह है कि अगले शैक्षणिक सत्र 2022 -2023 से दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय समेत अन्य ऐसे सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला केवल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से संभव हो सकेगा.
मौजूदा व्यवस्था के तहत अधिकांश विश्वविद्यालयों में 12वीं कक्षा में प्राप्त किए गए अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है. छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए अलग-अलग तिथियों पर संबंधित विश्वविद्यालय के फॉर्म भरने होते हैं. मनचाहे विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं मिल पाने पर छात्र उन विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों का रुख करते हैं, जहां दाखिले के लिए सीटें शेष बची रह जाती हैं. यूजीसी के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से आयोजित किया जाएगा.
उधर दूसरी ओर शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल (एसी) ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) के प्रस्ताव को पारित कर दिया है. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा पारित किए गए इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले इसे विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल से मंजूरी दिलवाना आवश्यक है. विश्वविद्यालय एग्जीक्यूटिव काउंसिल 17 दिसंबर को इस विषय में अहम निर्णय लेने जा रही है.
दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल इस नए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. अग्रवाल के मुताबिक इस तरह का कॉमन एंटरेंस टेस्ट बिना तैयारी के लाया जा रहा है. इसमें कई खामियां हैं जिसके कारण गरीब बच्चों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा. इसे लेकर अभी और चर्चा की जानी चाहिए जिसके बाद ही यह कॉमन एंट्रेंस टेस्ट अमल में लाया जा सकता है. दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक कांउसिल के पूर्व सदस्य एवं प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना एक अलग कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होगा. इस टेस्ट के माध्यम से केवल दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में ही दाखिले संभव होंगे. विश्वविद्यालय जो नियम तय करने जा रहा है उनके मुताबिक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट और 12वीं में प्राप्त किए गए अंकों का को 50-50 फीसदी वेटेज दिया जाएगा.
हालांकि हंसराज सुमन भी इस फैसले के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि इस प्रकार के कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला दिलवाने के लिए नए-नए कोचिंग सेंटर की मशरूमिंग हो जाएगी. गरीब बच्चे इस सिस्टम से पूरी तरह बाहर हो जाएंगे. 12वीं कक्षा में हासिल किए गए अंक उन्हें दाखिला दिलाने में पहले की तरह उतनी मदद नहीं कर सकेंगे. यूजीसी का कहना है कि कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से आयोजित किया जा सकता है. यूजीसी ने यह भी कहा है कि पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश के लिए नेट स्कोर का उपयोग किया जाएगा.
HIGHLIGHTS
- इसके लिए आवश्यक तैयारियां भी शुरू कर दी गई
- डीयू का अलग सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम टेस्ट