आईआईटी जोधपुर ने भाषाई विविधता सर्वे शुरू किया है। वर्ष 2022 के सर्वे से यह सामने आया है कि आईआईटी जोधपुर के छात्र, शिक्षक व कर्मचारी कुल मिलाकर 16 भाषाएं बोलने, 12 भाषाएं लिखने 20 भाषाएं समझने में सक्षम हैं। इनमें अंग्रेजी और हिंदी के अलावा उर्दू, तेलुगु, तमिल, संस्कृत, पंजाबी, उड़िया, मराठी, मलयालम, मैथिली, असमिया, डोगरी, बांग्ला, गुजराती, नेपाली, कोंकणी, सिंधी, संथाली, कन्नड़ भाषा शामिल है।
आईआईटी जोधपुर का कहना है कि कैंपस समुदाय में लोग 16 बोलियों में बातें कर सकते हैं जैसे तुलु, राजस्थानी, मेवाड़ी, मारवाड़ी, मगधी, लम्बाडी, हरियाणवी, भोजपुरी, ब्रज भाषा और फिर विदेशी भाषाएं भी बोल सकते हैं जैसे कि अरबी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी और कोरियाई आदि हैं।
आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. शांतनु चौधरी ने संस्थान की भाषाई विविधता के बारे में बताया, आईआईटी जोधपुर के कैम्पस में सभी का समावेश है और भाषाई विविधता भी है। सभी मिल कर काम करते हुए देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। इस तरह भारत प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करेगा। दुनिया के प्रौद्योगिकी दायरे से आगे बढ़ेगा।
आईआईटी जोधपुर के छात्र भारत के कोने-कोने से आए हैं। संस्थान में विभिन्न भाषाएं बोलने वाले छात्र शिक्षक और कर्मचारी हैं। ऐसे में भाषाई विविधता सर्वे विविधता में एकता के दर्शाते हुए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया।
आईआईटी जोधपुर के बारे में तेलंगाना के बी.टेक छात्र वेल्लोर साहिती ने अपने विचार देते हुए कहा, हमारा कॉलेज सही मायनों में छात्रों का पूरा ध्यान रखता है। कैंपस की अपनी मयार्दा है। लोगों में मैत्री भाव है और परिवेश आनंदमय है। तेलंगाना के ही बी.टेक छात्र पुलीपति सूर्य साई सात्विक ने कहा, आईआईटी जोधपुर में हम दूर-दर से आए हैं लेकिन यह हमारे घर की तरह है।
महाराष्ट्र से आई बी.टेक की छात्रा अद्रिका कुंजमन ने कहा कि आईआईटी जोधपुर की स्थापना 2008 में की गई। यह बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। धूप में चमकते मोती की तरह है। खास बात यह है कि आईआईटी जोधपुर के आधिकारिक प्लेटफार्म इन सभी छात्रों ने अपनी अपनी बोली व भाषा में यह बातें कहीं हैं।
आईआईटी जोधपुर का कहना है कि वह विचारों की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, सभी भाषाई बाधाओं को पार कर सामाजिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ज्ञान संपदा तैयार करने, प्रसार करने और सुरक्षित रखने के लक्ष्य से अग्रसर है। दूसरी पीढ़ी का यह आईआईटी शिक्षा और अनुसंधान में उत्तरोत्तर विकास कर रहा है। साथ ही, अपने इकोसिस्टम में भाषाई विविधता की पहचान बढ़ा रहा है।
Source : IANS