प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में सामूहिक नकल बड़ा मामला सामने आया है. जहां 3 साल के ग्रेजुएशन कोर्स के आखिरी साल यानी थर्ड ईयर में सामूहिक नकल करते हुए पकड़े गये लगभग 10 हज़ार स्टूडेंट्स पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने करवाई की है और ऐसे सभी स्टूडेंट को एक साल के लिए डिबार कर दिया है. सेशन 2021-2022 के ग्रेजुएशन कोर्स के एक ईयर की वार्षिक परीक्षा में मास कॉपी कॉपिंग का ये अब तक का सबसे बड़ा मामला हो सकता है जिसमें बड़ी करवाई हुई है. आंकड़ों की बात करें तो सामूहिक नकल में सबसे ज्यादा 8573 परीक्षार्थी बीएससी अंतिम वर्ष के थे, वहीं बीए में 1075 और बीकाम में 201 परीक्षार्थियों को नकल में दोषी पाये जाने के बाद एक साल के लिए डिबार किया गया है.
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आंकड़ों की बात करें तो सामूहिक नकल में सबसे ज्यादा 8573 परीक्षार्थी बीएससी अंतिमवर्ष के थे, वहीं बीए में 1075 और बीकाम में 201 परीक्षार्थियों को नकल में दोषी पाये जाने के बाद एक साल के लिए डिबार किया गया है. इतना ही नहीं नकल में राज्य विश्वविद्यालय से सम्बद्ध तमाम कॉलेजेस की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. और अब विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे कॉलेज की कुंडली भी खंगाल रहा है. दोषी पाए जाने पर ऐसे कॉलेज को एक से तीन साल तक डिबार करने से लेकर उनकी संबद्धता समाप्त करने पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन विचार कर सकता है. एक अनुमान के मुताबिक ऐसे कॉलेजेस की संख्या 50 के आसपास हो सकती है.
प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह राज्य विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार सिंह ने नकल को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए नकल को लेकर सख़्त कदम उठाया है. डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि परीक्षाओं पर निगरानी के लिए विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में एक कंट्रोल रूम बनाया गया था. जहां सीसीटीवी के जरिये परीक्षा पर नज़र रखी जा रही थी. इस दौरान ये देखा गया कि परीक्षा के दौरान तमाम स्टूडेंट्स की नज़र ब्लैक बोर्ड पर लगतार बनी हुई थी. जब कॉपी जांची गयी तो पता चला कि ऐसे ज्यादातर स्टूडेंट्स की उत्तर पुस्तिका में उत्तर की शुरूआत और अंत एक जैसा था, इतना ही नही उत्तर में लिखी गयी गलतियां भी एक जैसी थी.