UP से लेकर दिल्ली तक लाखों की संख्या में छात्र यूपी की भर्ती परीक्षाओं में अपनी मांग को लेकर प्रोस्टेस्ट कर रहे हैं. अबतक ये प्रोस्टेस्ट प्रयागराज में ही चल रहा था लेकिन दिल्ली के मुखर्जी नगर में भी ये मामला तूल पकड़ते नजर आ रहा है.प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स "एक दिन, एक शिफ्ट, नॉर्मलाइजेशन नहीं" की मांग कर रहे हैं. धीरे-धीरे ये प्रोटेस्ट अलग-अलग शहरों में दिखाई दे रहा है ऐसे में आपका ये जानना जरूरी है कि छात्र जो मांग कर रहे हैं आखिर वह क्या है, नॉर्मलाइजेशन आखिर होता क्या है.
बता दें कि इस फॉर्मूले के अनुसार,परीक्षा में मिले नंबरों के आधार पर कैंडिडेट्स का प्रतिशत स्कोर निकाला जाता है.परीक्षा के हर पेपर के लेवल में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है. इसी अंतर को खत्म करने के लिए ये सिस्टम लागू किया जाता है. परीक्षा के हर पेपर के लेवल में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है. इसी अंतर को खत्म करने के लिए ये सिस्टम लागू किया जाता है.
क्यों दो शिफ्ट में एग्जाम नहीं देना चाहते छात्र
दो शिफ्टों में आयोजित की गई परीक्षा में, शिफ्ट A और शिफ्ट B के बीच अंकों का अंतर होता था. शिफ्ट A का पेपर थोड़ा आसान था, जबकि शिफ्ट B का पेपर थोड़ा कठिन. शिफ्ट A में उम्मीदवारों ने औसतन 150 में से 120 अंक प्राप्त किए, वहीं शिफ्ट B में औसतन उम्मीदवारों ने 150 में से 100 अंक प्राप्त किए. इस तरह, दोनों शिफ्टों के उम्मीदवारों के प्रदर्शन में अंतर था, जिसे समान बनाने के लिए नॉर्मलाइजेशन का उपयोग किया जाएगा.
नॉर्मलाइजेशन एक प्रक्रिया है जिसके तहत शिफ्ट B के उम्मीदवारों के अंकों को बढ़ाया जाएगा ताकि दोनों शिफ्टों के अंकों को समान पैमाने पर लाया जा सके. इसका मतलब है कि शिफ्ट B के छात्रों के अंक शिफ्ट A के छात्रों के अंकों से तुलनात्मक रूप से हाई किए जाएंगे. इस प्रक्रिया के बाद, सभी उम्मीदवारों के नंबर एक नए और समान पैमाने पर बदले जाएंगे.
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