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UPSC Success Story: राजस्थान के छोटे से गांव से निकलकर बनीं IAS ऑफिसर, महज 22 साल की उम्र

UPSC Success Story: सक्सेस स्टोरी में आज हम बात कर रहे हैं IAS अधिकारी सुलोचना मीणा की, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से यह मुकाम हासिल किया.

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Priya Gupta
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Success Story: UPSC परीक्षा भारत में एक ऐसी कठिन परीक्षा मानी जाती है, जिसका सपना हर छात्र देखता है. हालांकि, यह सफलता उन लोगों को ही मिलती है जो दिल से मेहनत करते हैं और अपनी मेहनत में पूरी ईमानदारी दिखाते हैं. जब बात होती है उस सफलता की, जो एक छोटे से गांव से आई एक लड़की ने महज 22 साल की उम्र में हासिल की हो, तो यह कहानी और भी प्रेरणादायक बन जाती है. हम बात कर रहे हैं IAS अधिकारी सुलोचना मीणा की, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से यह मुकाम हासिल किया.

जानें सुलोचना की कहानी

सुलोचना मीणा का जन्म राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के एक छोटे से गांव आदलवाडा में हुआ था. उनका जीवन बहुत साधारण था, लेकिन उनके सपने बड़े थे.सुलोचना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान में प्राप्त की और फिर अपनी आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली का रुख किया. दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से उन्होंने बॉटनी में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. 

इतने घंटे करती थी पढ़ाई

बचपन से ही सुलोचना का सपना था कि वे IAS अधिकारी बनें, और इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत करने की ठान ली थी.UPSC की परीक्षा में सफलता पाने के लिए सुलोचना ने अपने समय का सही तरीके से उपयोग किया. वे रोजाना 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती थीं. हालांकि, उनके पास कोई कोचिंग का सहारा नहीं था, फिर भी उन्होंने अपनी तैयारी के लिए इंटरनेट पर मौजूद कंटेंट का इस्तेमाल किया. उन्होंने मॉक टेस्ट, यूट्यूब और टेलीग्राम पर मौजूद फ्री मैटेरियल से अपनी तैयारी की.

22 साल की उम्र में बनीं IAS

इसके अलावा, उनका सबसे ज्यादा ध्यान NCERT किताबों पर था, क्योंकि ये किताबें UPSC परीक्षा के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं. सुलोचना का संघर्ष 2021 में रंग लाया जब उन्होंने अपनी पहली बार UPSC परीक्षा दी. कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 415 हासिल की. खास बात यह थी कि उन्होंने एसटी कैटेगरी में ऑल इंडिया रैंक 6 प्राप्त की थी, जिससे यह साबित हो गया कि यदि सही दिशा और मेहनत के साथ प्रयास किया जाए, तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है. महज 22 साल की उम्र में सुलोचना ने यह सफलता हासिल की, जो उनके निश्चय और कठिन परिश्रम का परिणाम था.

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