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Classical Language: क्या होता है क्लासिकल लैंग्वेज, इन 5 भाषाओं को सरकार ने दिया classical का दर्जा

केंद्र सरकार ने इन पांच भाषाओं को क्लासिकल लैंग्वेज की मान्यता दी है. पहले से इस सूची में संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया जैसी भाषाएं शामिल थीं.

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Priya Gupta
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Classical Language: भारत में कई भाषाएं बोली जाती है, हाल ही में सरकार ने पांच भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिया है. केंद्र सरकार ने इन पांच भाषाओं को क्लासिकल लैंग्वेज की मान्यता दी है. पहले से इस सूची में संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया जैसी भाषाएं शामिल थीं.

क्लासिकल लैंग्वेज क्या होती हैं?

क्लासिकल लैंग्वेज यानी शास्त्रीय भाषाएं वे भाषाएं हैं, जो भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए हैं. ये भाषाएं न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, बल्कि कई समुदायों को उनकी संस्कृति और पहचान से जोड़ती हैं. किसी भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज के रूप में मान्यता देने के लिए कुछ मानदंड होते हैं:

पुराने रिकॉर्ड: उस भाषा का ऐतिहासिक रिकॉर्ड 1500 से 2000 वर्ष पुराना होना चाहिए.
प्राचीन साहित्य: भाषा में प्राचीन साहित्य का समावेश होना आवश्यक है.
ग्रंथों का संग्रह: उस भाषा में महत्वपूर्ण ग्रंथों का संग्रह होना चाहिए.

सिफारिश कौन करता है?

किसी भी भारतीय भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज की लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की एक विशेषज्ञ समिति करती है. इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ-साथ चार से पांच भाषा विशेषज्ञ भी शामिल होते हैं. समिति की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष करते हैं.

शास्त्रीय भाषा बनने के फायदे

प्राचीन साहित्यिक धरोहर जैसे ग्रंथों, कविताओं और नाटकों का डिजिटलीकरण और संरक्षण किया जाता है. इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए इन धरोहरों को समझना और सराहना आसान होता है.
  
राष्ट्रीय पुरस्कार: शास्त्रीय भाषाओं के लिए विशेष राष्ट्रीय पुरस्कारों की व्यवस्था की जाती है.
शैक्षणिक संस्थान: विश्वविद्यालयों में इन भाषाओं के लिए विशेष पीठें स्थापित की जाती हैं, जिससे छात्रों को इन भाषाओं का अध्ययन करने का अवसर मिलता है.
सरकारी समर्थन: क्लासिकल लैंग्वेज के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय और संसाधन सहायता उपलब्ध कराई जाती है.

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