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रेलवे स्टेशन पर लगी लाल और ब्लू ट्रेनों में क्या अंतर है? जानें कौन सी है ज्यादा सुरक्षित

आप जब ट्रेन से सफर करने जाते हैं तो रेल के डब्बों का कलर नोटिस किया है, कोई ब्लू होते हैं तो कोई लाल होते हैं. इन दोनों ट्रेनों में क्या फर्क होता है, आइए जानते हैं.

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Priya Gupta
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LHB, LCF

Photo-Social Media

Red LHB and ICF Blue Trains: भारत में ट्रेन यात्रा एक आम बात है, भारत की ज्यादातर आबादी ट्रेन से ही सफर करना पसंद करती है. दूर के सफर के लिए लोग ट्रेन से ही जाना पसंद करते हैं. रेलवे स्टेशन पर ट्रेन लगी होती है, आप अपनी सीट पर जाकर बैठते हैं. भारत में रेलवे की शुरुआत भले ही ब्रिटिशों ने की हो लेकिन आज भारतीय रेलवे ने काफी इनोवेट कर लिया है. आप जब ट्रेन से सफर करने जाते हैं तो रेल के डब्बों का कलर नोटिस किया है, कोई ब्लू होते हैं तो कोई लाल होते हैं. इन दोनों ट्रेनों में क्या फर्क होता है, आइए जानते हैं.

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दो प्रकार के ट्रेन कोच

रेलवे में ट्रेन के कोच दो प्रकार के होते हैं, जो उनके रंग से पहचाने जा सकते हैं. नीले रंग के कोच "ICF" (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) के होते हैं, जबकि लाल रंग के कोच "LHB" (लिंक हॉफमैन बुश) के होते हैं. इन दोनों प्रकार के कोच में केवल रंग का ही फर्क नहीं होता, बल्कि इनके निर्माण, सुरक्षा के पैमाने भी अलग-अलग होते हैं. इन्हें हम बारिकी से जानने की कोशिश करते हैं.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) के कोच

ICF कोच चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनाए जाते हैं. इस फैक्ट्री की स्थापना 1952 में हुई थी. ICF के कोच आमतौर पर लोहे से बने होते हैं और इनमें एयर ब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. इन कोचों की अधिकतम स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. ICF कोच में स्लीपर क्लास में 72 सीटें होती हैं और एसी-3 क्लास में 64 सीटें होती हैं. इन कोचों को हर 18 महीनों में एक बार पीरियाडिक ओवरहॉलिंग (POH) की जरूरत होती है, जिससे इनकी मेनटेंनेस महंगी होती है. ICF कोच में डुअल बफर सिस्टम होता है, जिससे दुर्घटनाओं के समय ये एक-दूसरे पर चढ़ सकते हैं, जिससे एक्सीडेंट होने के चांस बढ़ सकते हैं.

लिंक हॉफमैन बुश (LHB) के कोच क्या है?

LHB कोच को भारत में 2000 में जर्मनी से लाया गया था और ये कपूरथला, पंजाब में बनाए जाते हैं. ये कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं और डिस्क ब्रेक का उपयोग करते हैं. LHB कोच में सेंटर बफर काउलिंग सिस्टम होता है, जिससे दुर्घटनाओं के समय ये कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते और सुरक्षा बढ़ जाती है. इनकी अधिकतम स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा है और ऑपरेशनल स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.

LHB कोच में स्लीपर क्लास में 80 सीटें और एसी-3 क्लास में 72 सीटें होती हैं. इन्हें हर 24 महीनों में एक बार ओवरहॉलिंग की जरूरत होती है, जिससे इनकी देखभाल की लागत कम होती है. इनका राइडर इंडेक्स 2.5 से 2.75 होता है, जो कि ICF के कोच से बेहतर है.

ICF और LHB कोच में अंतर

LHB कोच ICF कोच की तुलना में लंबे होते हैं, जिससे इनमें बैठने की जगह ज्यादा होती है. LHB कोच की स्पीड भी अधिक होती है और ये स्टेनलेस स्टील से बने होने के कारण हल्के होते हैं. दुर्घटनाओं के समय भी LHB कोच ICF कोच की तुलना में अधिक सुरक्षित माने जाते हैं.

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