Adult School: भारत की आबादी भले ही पूरी दुनिया में नंबर वन पर है. लेकिन सेक्स एजुकेशन में भारत कहीं भी नहीं है. सोशल मीडिया और कई कैंपन चलने के बाद आज थोड़ी बहुत जागरूकता आ गई हो लेकिन भारत में आज भी ऐसे कई जगह है जहां पर महिलाओं पीरियड्स के बारे में बात करने में शर्माती हैं, ऐसे में आप सोच सकते हैं कि भारत में सेक्स एजुकेशन को लेकर क्या स्थिति है. एनसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2021 में रेप के कुल 31,677 मामले, यानी रोजाना औसतन 86 ममले दर्ज किए गए. वहीं उस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 49 मामले प्रति घंटे दर्ज किए गए. आज के हालात उससे भी ज्यादा बदतर है. भारत में रेप और योन सोशण का कारण लोगों में जागरूकता की कमी है. भारत के अलावा कई ऐसे देश हैं जहां पर सेक्स एजुकेशन को सिलेबस का हिस्सा बनाया गया है. बायोलॉजी में स्टूडेंट्स सेक्स एजुकेशन के जागरूकता के सााथ पढ़ते हैं. वहीं एक ऐसा स्कूल है जहां सेक्स एजुकेसन पढ़ाया जाता है.
इतनी है इस स्कूल की फीस
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में पहला अंतरराष्ट्रीय सेक्स स्कूल ऑस्ट्रिया के विएना में खुला है. इस स्कूल का दावा है कि वह अपने छात्रों को बेहतर प्रेमी बनना सिखाएगा. यहां एडमिशन लेने के लिए आपको भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. इस स्कूल में एक सत्र के लिए प्रत्येक छात्र को 1400 पौंड देने होते हैं. स्वीडन में जन्मी और इस सेक्स स्कूल की हेड मिस्ट्रेस यल्वा मारिया थॉम्पसन बताती हैं कि जिसकी उम्र 16 साल से अधिक है, वे यहां एडमिशन ले सकता है.
उनके मुताबिक यह दुनिया का पहला काम-वासना का स्कूल होगा जहां छात्रों को बेहतर प्रेमी बनना सिखाया जाएगा.इस स्कूल में थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल पर ध्यान दिया जाता है. छात्र छात्राओं को एक ही हॉस्टल में रखा जाएगा ताकि वो अपना होमवर्क कर सके.
कोर्स के बाद सर्टिफिकेट दिए जाते हैं
उन्होंने बताया, इस स्कूल में यौन क्रिया का उपयुक्त आसन, प्रेम स्पर्श, शारीरिक विशेषताएं इन सभी का व्यवहारिक चीजों के बारे में बताया जाता है. कोर्स खत्म करने के बाद स्टूडेंट्स को सर्टीफ़िकेट भी दिए जाएंगे.
ब्रिटेन के एक न्यूज डेली मेल के मुताबिक, इस सेक्स स्कूल में प्रवक्ता मेलोडी कर्श ने कहा हमें यकीन है कि ये स्कूल पूरी तरह सफल होगा. हालांकि इस स्कूल के खुलने से कई विरोध हो चुके हैं. इस स्कूल के 'भड़काऊ' टीवी विज्ञापनों को पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है.
वहीं डेनमार्क में 1970 से ही यौन शिक्षा अनिवार्य है, लेकिन इसे हमेशा उम्र के हिसाब से पढ़ाया जाता है. इसलिए 11 साल के बच्चे ‘किशोरावस्था’ नामक एक मॉड्यूल लेते हैं.
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