हम नौकरी करते हैं ताकि एक अच्छा जीवन जी सके, अपने परिवार और अपनी जरूरतों को पूरा कर भविष्य बेहतर कर सके, लेकिन यही नौकरी एक दिन आपके कल को ही खत्म कर दे तो क्या करेंगे. सोशल मीडिया पर आए दिन कॉरपोरेट कल्चर को लेकर खूब मीम्स देखते हैं, और हर इम्पाई खुद को उस मीम्स से रीलेट करता है और स्टेटस लगा लेता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओवर वर्कलोड के कारण कुछ लोगों की जान ले लेते हैं. लेकिन इन दिनों दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सीए ने ऑफिस के स्ट्रेस की वजह से अपनी जान दे दी.ईवाई में काम करने वाली 26 साल की सीए की कथित तौर पर काम के ज्यादा दवाब के कारण मौत हो गई है.
ओवर वर्कलोड के कारण गई जान!
केरल की रहने वाली एना सेबेस्टियन ने साल 2023 में सीए की परीक्षा पास की और अपने सपने को पूरा होते देख बहुत खुश थी.लेकिन किसे पता था कि उसके सपने ही उसके दुश्मन बन जाएंगे. एना सेबेस्टियन के पिता शिबी जोसेफ ने कहा कि उसे (अन्ना) देर रात 12.30 बजे तक काम करना पड़ता था. एना की मौत कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात है.ऐसे में चलिए जानते हैं कि किन देशों में सबसे ज्यादा काम करवाया जाता है.
सबसे ज्यादा घंटे काम कहां होता है?
दुनियाभर में कई देश ऐसे हैं जहां कर्मचारियों से ज्यादा काम लिया जाता है.सबसे ज्यादा वर्किंग आवर देशों की लिस्ट में यूएई पहले नंबर पर है,जहां एक हफ्ते में औसतन 52.6 घंटे काम लिया जाता है.इसके अलावा कतर में भी लोग करीब 50 घंटे काम करते हैं. यहां कई लोग हफ्ते में 49 घंटे तक काम कर लेते हैं.वहीं भूटान में भी कई लोग हफ्ते में करीब 50 घंटे तक काम कर लेते हैं.इसके अलावा गाम्बिया में भी इतना ही काम लोग एक हफ्ते में करते हैं.वहीं भारत की अगर बात करें तो यहां औसतन एक हफ्ते में 47.7 घंटे तक काम होता है.
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
वर्कलोड के चलते मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है. ज्यादा काम करने से अवसाद, चिंता और तनाव जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं. यह न केवल कर्मचारियों की पर्सनल जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि उनके काम की गुणवत्ता को भी कम कर सकता है.
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