केरल (Kerala) में पिनारयी विजयन (Pinarayi Vijayan) विधानसभा चुनाव जीतने का मुश्किल काम तो आसानी से पूरा कर चुके हैं. अब उन्हें कैबिनेट का दूसरा संस्करण तैयार करना है. इसके लिए उन्होंने गुरुवार से सहयोगी दलों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. विजयन ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार को लगातार दूसरी जीत दिलाकर राज्य की राजनीति में इतिहास रचा है. उन्होंने 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में एलडीएफ को 91 सीटों से 99 तक पहुंचाया है. उनकी जीत इस मायने में भी खास हो जाती है कि जहां भारतीय जनता पार्टी सूबे में खाता नहीं खोल सकी, वहीं कांग्रेस का गठबंधन यूडीएफ भी खरा नहीं उतर सका.
मंत्रिमंडल गठन बड़ी चुनौती
जाहिर है इतिहास रचने के बाद संतुलित मंत्रिमंडल तैयार करना पी विजयन के सामने बड़ी चुनौती है. नियमानुसार कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 21 मंत्री रह सकते हैं. इस लिहाज से देखें तो सीएम स्तर के अन्य तीन पद हैं जो कैबिनेट स्तर के हैं - विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और मुख्य सचेतक. निवर्तमान विजयन कैबिनेट में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 12 मंत्री और मुख्यमंत्री हैं. मोर्चा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी सीपीआई है, जिसके चार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस (एस) और जनता दल (एस) के एक-एक मंत्री हैं.
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घटकों के बीच संतुलन होगा साधना
हालांकि इस बार वाम मोर्चा में केरल कांग्रेस (बी), इंडियन नेशनल लीग (आईएनल) के अलावा दो नए सहयोगी केरला कांग्रेस (मणि) और लोकतांत्रिक जनता दल भी शामिल हैं. ये दोनों पार्टियां पिछली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में थीं. एक और कद्दावर नेता हैं कोवूर कुंजुमोन, जो 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले, यूडीएफ में थे, मगर अब वामपंथियों के साथी हैं और उन्होंने लगातार पांचवीं बार चुनाव जीता है. विजयन के लिए इतने घटकों के बीच संतुलन बनाना कठिन हो सकता है. मंत्रिमंडल में सभी सहयोगियों को समायोजित करना विजयन के लिए मुश्किल काम जरूर है.
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एतिहासिक जीत रही एलडीएफ की
दरअसल चुनावी नतीजों के मुताबिक एलडीएफ ने 99 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं यूडीएफ ने 41 सीटों पर जीत का परचम लहराया है, जबकि एनडीए को एक भी सीट नसीब नहीं हो सकी है. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल चुनाव में एलडीएफ की इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय जनता को देते हुए बीजेपी को नसीहत भी दी. उन्होंने कहा कि केरल में सांप्रदायिक राजनीति की कोई जगह नहीं है.
HIGHLIGHTS
- संतुलित मंत्रिमंडल पी विजयन के सामने बड़ी चुनौती
- सभी सहयोगियों को समायोजित करना मुश्किल काम
- यूडीएफ और एनडीए के लिए बुरा ख्वाब रहे चुनाव