उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी चुनावी रणनीति में फेरबदल करने के लिए मजूबर होना पड़ा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता है। सपा और कांग्रेस में गठबंधन होने की वजह से इन मतों के विभाजन की आशंका कम हो गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 140 विधानसभा की सीटें हैं जो 26 जिलों में आती है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर 11 फरवरी और 15 फरवरी को चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर कुल सात चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
यादव परिवार में चल रही उठापटक से पहले बहुजन समाज पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों को लेकर कोई चिंता नहीं थी।
मुलायम सिंह यादव परिवार में चल रही लड़ाई के दौरान मुस्लिम बहुल क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा, बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही थी। लेकिन अखिलेश यादव और राहुल गांधी के साथ आने से विपक्षी दलों को रणनीति में बदलाव करना पड़ा।
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बसपा की रणनीति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने पहले दो चरण के चुनाव के लिए 50 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। बसपा को लगता है कि दलित के साथ मुस्लिम वोट बैंक के मिल जाने से लखनऊ के लिए उसका रास्ता आसान हो जाएगा।
लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ आने के अब मुस्लिम मतदाताओं के पास दो विकल्प है। सपा के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों का मुद्दा अहम रहा है। लेकिन पार्टी ने टिकटों के बंटवारे में मुसलमानों को नाराज नहीं किया है।
पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 140 सीटों में से 42 सीटों पर मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया है। इसमें से 28 सीटों पर पहले दो चरण के तहत चुनाव होने हैं और इन सभी सीटों पर बसपा औ सपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है।
मायावती की पार्टी प्रदेश में 'दंगा मुक्त' और 'अपराध मुक्त' शासन देने का दावा कर रही है जो एक तरह से सपा के कार्यकाल में हुए मुजफ्फरनगर दंगों और राज्य की कानून-व्यवस्था पर हमला है वहीं सपा अतीत में बीसपी और बीजेपी के गठबंधन के मुद्दे को उछाल रही है।
इसके अलावा मायावती बार-बार मुस्लिम मतदाताओं से सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट कर अपना मत बर्बाद नहीं किए जाने की अपील कर रही हैं।
वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल के परंपरागत जाट वोट बैंक में सेंध लगा चुकी बीजेपी के लिए स्थिति पहले के मुकाबले ज्यादा मुश्किल हो गई है।
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बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रदेश चुनाव के बाद ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर बड़ा फैसला लिए जाने की बात कह चुके हैं वहीं स्मृति ईरानी ने इन इलाकों में महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ को खत्म करने के लिए रोमियो ब्रिगेड बनाने का ऐलान किया है।
बीजेपी सीधे-सीधे इन इलाकों में लव जेहाद जैसे मुद्दों को नहीं उछाल रही है लेकिन पार्टी ने वरिष्ठ नेता इस मुद्दे को परोक्ष रुप से हवा दे रहे हैं। इसके अलावा राम मंदिर का मुद्दा भी बीजेपी की घोषणापत्र में जगह पा चुका है। पार्टी के एक और नेता मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव बाद कर्फ्यू लगाने का भी विवादित बयान दे चुके हैं।
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HIGHLIGHTS
- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले बने सपा औऱ कांग्रेस के गठबंधन ने बिगाड़ा मुस्लिम समीकरण
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता को ध्यान में रखते हुए बसपा और बीजेपी ने बदली रणनीति
Source : News Nation Bureau