महाराष्ट्र में सीएम पद (CM Post) को लेकर बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बीच लगातार खींचतान जारी है. जहां शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे 50-50 फार्मूला पर बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर अड़े हैं तो वहीं बीजेपी इस पर राजी नहीं हो रही है. इसे लेकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर अभी भी संशय बरकरार है. इस बीच शिवसेना निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है, जिनमें से 6 निर्दलीय विधायकों ने शिवसेना को अपना समर्थन भी दे दिया है.
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महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना को सिर्फ एनसीपी से ही उम्मीद थी, क्योंकि महाराष्ट्र में NCP ही तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके सपोर्ट से शिवसेना सरकार बनाने के करीब पहुंच सकती थी. इस बीच एनसीपी विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने बड़ा बयान दिया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि इस समय सभी का ध्यान सरकार को लेकर में है. अजीत पवार ने जोर देकर कहा कि 'हम विपक्ष में बैठेंगे'.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी (BJP) के राज्यसभा सांसद संजय काकड़े का दावा है कि शिवसेना के 56 में से 45 विधायक अलग पार्टी बनाकर बीजेपी (BJP) को सपोर्ट करने के लिए तैयार हैं. काकड़े का दावा है कि शिवसेना के 56 में से 45 विधायक बीजेपी (BJP) के संपर्क में हैं. वे लोग बीजेपी का समर्थन करने को तैयार हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि या तो बीजेपी इस पर वाकई काम कर रही है या फिर शिवसेना को प्रेशर में लाने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स खेल रही है.
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अजीत पवार ने आगे कहा कि इस समय राज्य में किसानों की हालत खराब है और सरकार में कौन रहेगा ये अभी तय नहीं हुआ है. हम राज्यपाल से मिलेंगे और राज्य के हालात के बारे में उन्हें अवगत कराएंगे. मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं 1 लाख 65 हजार वोटों से जीत कर आया हूं. इसके लिए मैं जनता का धन्यवाद देता हूं. बता दें कि एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने अजीत पवार को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा. महाराष्ट्र चुनाव में नवनिर्वाचित विधायकों ने अजीत पवार का समर्थन किया है. विधायक दल का नेता चुने जाने पर उन्होंने सभी का धन्यवाद किया.
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महाराष्ट्र में ताजा राजनीतिक हालात में बीजेपी ने शिवसेना के आगे न झुकने का फैसला किया है. दूसरी ओर, शिवसेना को 31 अक्टूबर तक फैसला करने का अल्टीमेटम दे दिया है. माना जा रहा है कि 31 अक्टूबर तक शिवसेना नहीं मानती है तो बीजेपी (BJP) प्लान बी पर काम शुरू कर देगी.
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बीजेपी का प्लान है कि शिवसेना के साथ मिलने या न मिलने की स्थिति में भी वह राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. इस दौरान बीजेपी छोटे दलों या फिर निर्दलीयों का समर्थन पत्र भी राज्यपाल के सामने पेश करेगी. सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. राज्यपाल से बहुमत साबित करने को समय मिलने की स्थिति में बीजेपी एक बार फिर शिवसेना को मनाने की कोशिश करेगी. शिवसेना फिर भी नहीं मानती है तो बहुमत साबित करने को हरसंभव कोशिश की जाएगी.
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एनसीपी खुलेआम अगर समर्थन नहीं करती है तो कोशिश यह होगी कि एनसीपी वोटिंग का बॉयकॉट कर दे, ताकि बीजेपी के लिए राह आसान हो जाए. एनसीपी के 54 विधायकों के विरोध करने स्थिति में 289 सदस्यीय विधानसभा में 235 सदस्य रह जाएंगे और बहुमत साबित करने को 118 सदस्य ही चाहिए होंगे. इसमें बीजेपी (BJP) के 105 विधायकों के अलावा बीजेपी की कोशिश होगी कि छोटी पार्टियों और निर्दलीय के 13 विधायकों का साथ मिल जाए. अब तक 15 निर्दलीय विधायकों का समर्थन जोड़ दें तो बीजेपी के पास कुल 120 विधायकों की ताकत है.
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यह भी प्लान है कि बहुमत साबित करने के बाद अगर शिवसेना लचीला रुख अपनाती है तो बीजेपी की शर्तों पर उसे सरकार एंट्री दी जाएगी और तब सरकार में मोलभाव करने की ताकत शिवसेना के पास नहीं, बल्कि बीजेपी के पास होगी. यानी विधायकों की संख्या के आधार पर शिवसेना को सरकार में जगह मिलेगी. इस तरह शिवसेना को ढाई साल का मुख्यमंत्री पद तो दूर, एक तिहाई विधायकों के ही मंत्री बनने की संभावना होगी.