देश के पांच राज्यों गोवा, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा बीते सप्ताह कर दी गई. चुनाव आयोग ने बताया कि पंजाब में सभी 117 सीटों पर मतदान एक ही चरण में 20 फरवरी को पूरा हो जाएगा. पंजाब में विधानसभा चुनाव की नई तारीख के मुताबिक सभी 117 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होंगे. इससे पहले 14 फरवरी को वोटिंग होने वाली थी, लेकिन रविदास जयंती के चलते इसे आगे बढ़ाया गया.
चुनाव आयोग के अनुसार, पंजाब की सभी सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होंगे. 10 मार्च को पंजाब समेत सभी 5 राज्यों में वोटों की गिनती होगी. नोटिफिकेशन 25 जनवरी को जारी किए जाएंगे. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख एक फरवरी होगी. नामांकन पत्रों की जांच 2 फरवरी को की जाएगी. नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 4 फरवरी होगी. पिछली बार पंजाब विधानसभा का चुनाव 4 फरवरी 2017 को हुआ था और वोटों की गिनती 11 मार्च 2017 को हुई थी.
चुनाव कार्यक्रम की तारीखों की घोषणा के साथ ही पंजाब में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई. पंजाब विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 27 मार्च को पूरा होने वाला है. कोरोना महामारी के बीच सीमावर्ती और संवेदनशील राज्य पंजाब में चुनाव प्रक्रियाओं के बीच वहां के हालात, प्रमुख सियासी मुद्दे, मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे, दलीय समीकरण, चुनाव आयोग की तैयारी और प्रचार अभियान के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.
कोरोना को लेकर तैयारी
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले बताया था कि कोरोना के चलते चुनाव कराना काफी चुनौतीपूर्ण है. आयोग ने इसकी विस्तार से तैयारी की है. उन्होंने बताया कि इस बार 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग व्यक्ति और कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्ति पोस्टल बैलेट से मतदान कर सकते हैं. फिजिकल रैली, रोड शो, पदयात्रा, साइकिल-बाइक रैली की इजाजत नहीं दी जाएगी.
सियासी समीकरण
22 जिले वाले पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए आम आदमी पार्टी, शिअद और बीजेपी गठबंधन के नेता आक्रामक रूप से प्रचार कर रहे हैं. साल 2017 के चुनावों में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में सत्ता में आने वाली कांग्रेस ने पिछले साल सितंबर में उन्हें हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था. अब कैप्टन ने अपनी अलग पार्टी बनाई है. वे बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पीएलसी और सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी शिअद (संयुक्त) के साथ मिलकर बीजेपी चुनावी मैदान में उतरी है. वहीं अकाली दल इस बार बीएसपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है.
चुनाव के प्रमुख मुद्दे
पंजाब में कृषि कानूनों को लेकर पनपा आंदोलन चुनाव में भी छाया रहेगा. भारी विरोध के बाद पीएम मोदी ने इन चर्चित कानूनों को वापस ले लिया. इसके अलावा 5 जनवरी को पंजाब में लुधियाना-फिरोजपुर हाईवे पर पीएम नरेंद्र मोदी के काफिले की सुरक्षा चूक के मामले ने पंजाब चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है. यह मुद्दा पंजाब चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बना रह सकता है. हाल ही में पीएम मोदी ने 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है. बेअदबी के सियासी जिक्र के बीच दशमेश गुरु गोविंद सिंह से जुड़े इस दिन के सांस्कृतिक महत्व चुनाव में छाए रह सकते हैं. स्थानीय दिग्गज विक्रम मजीठिया पर कानूनी कार्रवाई और नशा या ड्रग्स का मुद्दा भी चुनावी मुद्दा के रूप में फिर से तेज हो सकता है. सीमावर्ती इलाका होने की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला भी लगातार छाता रहा है. इन सबके बीच कांग्रेस की अंतर्कलह का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा बटोरने वाला मुद्दा बना हुआ है.
मुख्यमंत्री पद के चेहरे
अकाली दल की ओर से पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल मुख्यमंत्री पद के घोषित चेहरे हैं. कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया गया है. इसके प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी आलाकमान पर इसके लिए दबाव बना रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इशारों में खुद का नाम आगे कर दिया है. दूसरी ओर बीजेपी गठबंधन ने भी सीएम पद के लिए किसी चेहरे का ऐलान नहीं किया है. माना जा रहा है कि उनकी ओर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ही आगे आ सकते हैं. आम आदमी पार्टी की ओर से भगवंत मान का नाम बतौर नेता आगे किया जा रहा है. पर्दे के पीछे से राघव चड्ढ़ा के नाम की भी सुगबुगाहट है.
चुनाव प्रचार के प्रमुख चेहरे
बीजेपी गठबंधन की ओर से कुछ वर्षों से सभी चुनावों में प्रमुख चेहरे रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इस चुनाव में भी बड़े चेहरे हैं. उनके साथ गठबंधन के कैंप्टन अमरिंदर सिंह भी प्रमुख चेहरे होंगे. कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पहली बार सूबे में कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रचार के चेहरे हो सकते हैं. इनके अलावा स्थानीय सिद्धू और चन्नी भी लगातार रैलियां कर रहे हैं. अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बड़ा चुनावी चेहरा होंगी. आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और स्थानीय नेता भगवंत मान बतौर बड़े चेहरे चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
2017 का पूरा हाल
पंजाब विधानसभा के लिए 117 सीटों पर 4 फरवरी 2017 को 77.2% मतदान के साथ चुनाव हुआ था. नतीजे का ऐलान 11 मार्च 2017 को हुआ था. पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने सत्तारूढ़ अकाली दल-बीजेपी गठबंधन और आम आदमी पार्टी को हराकर सरकार बनाई थी. कांग्रेस 77 सीटें जीतकर दस साल बाद सत्ता में लौटी थी. वहीं. सत्तारूढ़ अकाली दल-बीजेपी गठबंधन केवल 18 सीटों पर सिमट गया था. आम आदमी पार्टी 20 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनी थी.
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सिख-हिंदू और दलित समीकरण
लगभग तीन करोड़ की आबादी वाले पंजाब में वोटरों की संख्या 2.12 करोड़ हैं. माझा, मालवा और दोआबा के इलाके में फैले पंजाब में धार्मिक नजरिए से सिखों की आबादी 57.69 फीसदी हैं यानी करीब पंजाब में कुल 1.60 करोड़ सिख हैं. इसी तरह पंजाब में हिन्दुओं की आबादी लगभग 40 फीसदी हैं. यानी सूबे में करीब 1.5 करोड़ हिंदू रहते हैं. पंजाब की कुल आबादी के 1.93 फीसद मुसलमान रहते हैं. पंजाब में मुसलमानों की संख्या 5 लाख 35 हजार हैं. क्रिश्चियन की संख्या भी 1.25 फीसद है. राज्य में करीब 3.48 लाख क्रिश्चियन हैं. वहीं बौद्ध-जौन या अन्य धार्मिक समुदायों की आबादी 50-50 हजार से भी कम है.
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जाति के बारे में बात करें तो पंजाब में देश की सबसे बड़ी दलित आबादी निवास करती है. सिख और हिंदुओं दोनों धार्मिक समुदायों के अंतर्गत लगभग 32 फीसदी दलित आबादी बताई जाती है. इनमें जाट सिखों की आबादी 25 फीसदी के आसपास है. पंजाब की राजनीति में इनका दबदबा दिखता रहा है. पंजाब की अनुसूचित जातियों में सबसे बड़ा 26.33 प्रतिशत मज़हबी सिखों का है. वहीं रामदासिया समाज की आबादी 20.73 प्रतिशत है जबकि आधी धर्मियों की आबादी 10.17 और वाल्मीकियों की आबादी 8.66 है. पंजाब विधानसभा के कुल 117 सीटों में से 30 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. वहीं कुल 50 सीटें ऐसी हैं, जिनपर दलितों का वोट असर रखता है.
HIGHLIGHTS
- पंजाब में सभी 117 सीटों पर मतदान एक ही चरण में 14 फरवरी को होगा
- पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा होगा
- 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाए जाने की घोषणा का असर