राजस्थान के सियासी रण में भाजपा और कांग्रेस ने युवाओ पर फोकस करने की बात कही है, जिससे टिकट मांगने वालों में युवाओं की कतार लंबी हो गई है. राजस्थान विश्वविद्यालय में अध्यक्ष और महासचिव रहे करीब एक दर्जन युवा नेता टिकट की कतार में हैं. एक समय ऐसा था जब कई छात्र नेता छात्र राजनीति की डगर से प्रदेश की राजनीति के शिखर तक पहुंचे. प्रदेश में बड़े स्तर के नेता तैयार करने में सबसे आगे जयपुर की राजस्थान यूनिवर्सिटी रही है. वहीं जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर और सुखाड़िया यूनिवर्सिटी उदयपुर ने भी कई बड़े नेता प्रदेश को दिए हैं. छात्र राजनीति से मुख्य राजनीति में आने वाले नेताओं के ट्रेंड पर नजर डालें तो चौंकाने वाली बात सामने आती है. 2004 से पहले तक छात्रनेता रहे कई नेता मुख्य राजनीति में बड़े पद पर पहुंचे. मगर 2010 के बाद से कैलाश वर्मा को छोड़ एक भी छात्रनेता ऐसा नहीं रहा, जिसने मुख्यधारा की राजनीति में अपनी जगह बनाई हो. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत तो छात्रसंघ चुनाव हार गए थे, लेकिन प्रदेश की राजनीति में उन्होंने नई ऊंचाई को छुआ. पेश है एक रिपोर्ट :
1947 से ही अस्तित्व में आई राजस्थान यूनिवर्सिटी (आरयू) के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे तीन नाम ऐसे हैं जो वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इनमें 1974-75 में आरयू के अध्यक्ष रहे कालीचरण सर्राफ फिलहाल चिकित्सा मंत्री हैं. 1978-79 में आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ पंचायती राज मंत्री, 1980-81 में अध्यक्ष रहे राजपाल सिंह शेखावत उद्योग मंत्री हैं. इनके अलावा 1968 में अध्यक्ष रहे ज्ञान सिंह चौधरी बाद में मंत्री बने. इसी तरह चंद्रशेखर (1986-89) भी बाद में मंत्री बने. महेश जोशी (1979-80)सांसद रह चुके हैं. 1981 से 86 तक अध्यक्ष रहे रघु शर्मा वर्तमान में अजमेर से सांसद हैं. प्रताप सिंह खाचरियावास विधायक रह चुके हैं. हनुमान बेनीवाल (1997-98), राजकुमार शर्मा (1999-2000) मौजूदा विधायक हैं. इसी तरह आरयू में छात्र सीनेटर रहे अश्क अली टांक कांग्रेस से विधायक और राज्यसभा सांसद रहे हैं. 2003 में आरयू में अध्यक्ष रहे जितेन्द्र मीणा एसटी आयोग के उपाध्यक्ष हैं.
जेएनवीयू यूनिवर्सिटी
अशोक गहलोत छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव हार गए थे. वहीं वर्तमान में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत 1992-93 में जेएनवीयू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. इसी तरह जेएनवीयू में अध्यक्ष रहे मेघराज लोहिया राज्यमंत्री और बाबू सिंह शेरगढ़ से विधायक हैं.
सुखाड़िया यूनिवर्सिटी
सीपी जोशी वर्ष 1973 में एमबी कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. वहीं पहली बार सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में 1975 में हुए चुनाव भी सीपी जोशी लड़े थे. वर्तमान में राजसमंद सांसद हरिओम सिंह राठौड़ भी सुविवि छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी 1978, चित्तौड़गढ़ सरकारी कॉलेज के अध्यक्ष रहे हैं. वहीं वर्तमान चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी 1995-96 में चित्तौड़गढ़ काॅलेज के उपाध्यक्ष रहे.
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के अलावा शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी भी एबीवीपी के प्रदेशाध्यक्ष रहे. वहीं सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी भी एबीवीपी में प्रमुख पद पर रहे. आरयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अशोक लाहौटी अभी जयपुर मेयर हैं. वहीं सुविवि के अध्यक्ष रहे चंद्रसिंह उदयपुर मेयर हैं. अशोक गहलोत 1974 से 1979 तक एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रहे. गहलोत दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ का कहना है कि भाजपा इस बार भी युवाओं को मौका देगा,वहीं राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे प्रतापसिंह खाचरियावास का कहना है कांग्रेस हमेशा से युवाओं को आगे आने का मौका देती है.
ये छात्रनेता पेश कर रहे दावेदारी
सुविवि आट्र्स कॉलेज में पूर्व अध्यक्ष डॉ.दिलीप सिंह सिसोदिया भीम सीट से दावेदार हैं. एनएसयूआई अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया संगरिया से, एनएसयूआई के उदयपुर जिलाध्यक्ष रहे दीपक मेवाड़ा बड़ी सादड़ी से, आरयू में अध्यक्ष रहे मनीष यादव शाहपुरा सीट से, एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव रहे विपिन यादव कपासन सीट से, पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष मुकेश भाकर लाडनूं से, आरयू में अध्यक्ष रहे अनिल चौपड़ा और डॉ. अखिल शुक्ला सांगानेर से, एनएसयूआई के उपाध्यक्ष रहे हरिदान चारण कोलायत से, सुविवि के अध्यक्ष रहे दुर्गा सिंह राठौड़ बाली सीट से, एनएसयूआई अध्यक्ष रहे राकेश मीणा बस्सी से तो आरयू की छात्रनेत्री प्रभा चौधरी बायतु से दावेदार हैं.
Source : लाल सिंह फौजदार