असम में जब से विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हुआ है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है. बीजेपी एक बार फिर से सत्ता में वापसी करना चाहती है, तो कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से बीजेपी को विपक्ष में बिठाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. बीजेपी (BJP) एक बार फिर से असम गण परिषद (AGP) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) के साथ चुनावी मैदान में है. साल 2016 में बीजेपी ने अगप के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 15 साल से सत्ता में बैठी कांग्रेस को उखाड़ फेंका था. इस जीत के साथ बीजेपी ने राज्य में डेब्यू किया और सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया. सोनोवाल की सरकार में अगप को भी हिस्सा दिया गया. और अगप नेता अतुल बोरा (Atul Bora) को मंत्री बनाया गया. लिहाजा इस चुनाव में अतुल बोरा की काफी चर्चा हो रही है.
60 साल के अतुल बोरा (Atul Bora) इस समय असम की बोकाखाट निर्वाचन क्षेत्र से विधायक और सोनोवाल सरकार में कृषि मंत्री हैं. राजनीति में उनका एक लंबा चौड़ा इतिहास है. अतुल का जन्म 7 अप्रैल 1960 को असम के गोलाघाट जिले के बोरही गांव में हुआ था. वे ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्य रहे और असम आंदोलन का हिस्सा थे जिसने चुनावों में बांग्लादेश से आए अप्रवासियों की नागरिकता और समावेशिता का विरोध किया था.
राजनीतिक सफर
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अतुल बोरा ने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख दिया था. उन्होंने ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के साथ राजनीतिक सफर को शुरू किया. इस दौरान उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. छात्र राजनीति के बाद उन्होंने AASU के ही राजनीतिक संगठन असम गठ परिषद् (AGP) की टिकट पर चुनाव लड़ा. साल 2001 में अतुल बोरा ने दो सीटों से चुनाव लड़ा. गोलाघाट सीट से उन्होंने अगप की टिकट पर चुनाव लड़ा, जबकि दिसपुर से निर्दलीय मैदान में उतरे थे. हालांकि उन्हें दोनों सीटों से हार का सामना करना पड़ा था.
साल 2011 में उन्होंने फिर से एक बार दो सीटों से अपनी किस्मत अजमाई. इस बार वे दिसपुर और बोकाखाट सीटों से विधानसभा का चुनाव लड़ा. लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी वे चुनाव हार गए. इस चुनाव में कांग्रेस के एकॉन बोरा से वे हार गए थे. 2011 चुनाव में एकॉन बोरा को 83 हजार 96 वोटों मिले थे, जबकि एजीपी के अतुल बोरा को ने कड़ी टक्कर देते हुए 74 हजार 849 वोट हासिल किए थे.
साल 2014 में उन्हें अगप की कमान सौंपी गई. AGP अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने संगठन को मजबूत करने का काम किया. इस दौरान उनका संपर्क बीजेपी के नेताओं से हुआ. साल 2016 में वे NDA में शामिल हो गए. उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर 2016 का विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया. मोदी लहर में उनके इस फैसले से संगठन को काफी फायदा हुआ. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को 1 लाख 30 हजार 197 वोटों के मार्जिन से हराया था. मौजूदा समय में वे सर्बानंद सोनोवाल सरकार की में मंत्री हैं.
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बता दें कि असम में विधानसभा की कुल 126 सीटें हैं. असम विधानसभा चुनाव 2016 में इनमें से असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट समेत एनडीए के पास कुल 86 सीटें थी. 2016 विधानसभा चुनाव में अकेले बीजेपी ने 60 सीटों पर जीत हासिल की थीं. जबकि असम गण परिषद के पास 14 सीटें और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के पास 12 सीटें हैं. इस बार असम की कुल 126 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च से तीन चरणों में वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती दो मई को होगी. पहले चरण के तहत राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण के तहत 39 विधानसभा सीटों पर एक अप्रैल और तीसरे व अंतिम चरण के तहत 40 विधानसभा सीटों पर छह अप्रैल को मतदान संपन्न होगा. नामांकन की आखिरी तारीख 9 मार्च है.
HIGHLIGHTS
- सर्बानंद सोनोवाल सरकार में मंत्री हैं
- 2014 में असम गण परिषद् के अध्यक्ष नियुक्त किए गए
- AASU के साथ शुरू किया था राजनीतिक करियर