असम में 126 विधानभा सीटों के लिए हुए चुनाव की मतगणना रविवार को आठ बजे से शुरू हो गई है. आज तय हो जाएगा कि असम की सत्ता पर किस पार्टी का राज होगा. वर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की कुर्सी बचेगी या नहीं ये चुनावी परिणाम के बाद साफ हो जाएंगे. वहीं इस चुनाव में हेमंत विस्वा शर्मा की किस्मत भी दांव पर लगा हुआ है. पिछले चुनाव में कांग्रेस (Congress) का किला ध्वस्त करके बीजेपी (BJP) ने सरकार बनाई थी. और बीजेपी नेता सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) के सिर पर ताज सजा था. सोनोवाल राज्य के 14वें मुख्यमंत्री जबकि बीजेपी (BJP) की ओर से पहले मुख्यमंत्री बने थे. उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी समेत पार्टी के कई बड़े नेता शरीक हुए थे.
और पढ़ें: Assam Elections: कितने सही साबित होंगे एग्जिट पोल, आज रहे हैं चुनाव नतीजे
सर्बानंद सोनोवाल
31 अक्टूबर 1962 को डिब्रूगढ़ जिले के दिंजन में पैदा हुए सर्बानंद सोनोवाल को सफेद रंग काफी पसंद है. वे हमेशा सफेद रंग की पोशाक में नजर आते हैं. इतना ही नहीं उनको यह कलर इतना ज्यादा पसंद है कि उनके घर की सभी दीवारें सफेद रंग की हैं. यहां तक की उनकी अलमारी का कलर भी सफेद ही है. इसके अलावा फुटबॉल खेलना पसंद है. बचपन में उनके पास फुटबॉल खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे, तो वे लोकल फ्रुट 'टंगा' से खेलते थे. ये उसे टंगा बॉल कहते थे.
सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1992 में की थी. केंद्र सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे सोनोवाल निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं. उन्होंने ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वे साल 1992 और साल 1999 के बीच स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रहे. साल 2001 में वे यूनियन की राजनीतिक शाखा असम गण परिषद (AGP) में शामिल हुए और उसी साल विधायक बने.
2004 में पहली बार सोनोवाल डिब्रूगढ़ से केंद्रीय मंत्री पवन सिंह घाटोवर को हराकर लोकसभा में पहुंचे. परिषद के नेतृत्व से मतभेद के बाद साल 2011 में उन्होंने कमल थाम लिया. साल 2012 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश यूनिट का अध्यक्ष बनाया. 2014 तक वे असम बीजेपी के अध्यक्ष रहे फिर उन्हें दिल्ली बुला लिया गया. मोदी सरकार पार्ट 1 में उन्हें खेल मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया. लेकिन विधानसभा चुनाव को देखते हुए साल 2015 में उन्हें फिर असम बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. साल 2016 में जब उनके नेतृत्व में बीजेपी ने पंजे को बाहर का रास्ता दिखाया तो पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर सत्ता में डेब्यू किया. सोनोवाल को जमीनी नेता समझा जाता है. उन्होंने अवैध आप्रवासी (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारण) कानून के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी और साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया था.
हेमंत बिस्व शर्मा
हेमंत बिस्वा शर्मा (Himanta Biswa Sharma) का जन्म असम के जोराहाट में 01 फरवरी 1969 में हुआ था. राजनीति में प्रवेश करने से पहले वे कॉटन कॉलेज यूनियन सोसाइटी (CCUS) के महासचिव (GS) थे. साल 1996 से 2001 तक वे गौहती उच्च न्यायालय में भी लॉ प्रैक्टिस की थी. हेमंत बिस्वा शर्मा (Himanta Biswa Sharma) को खेलों में विशेष रूचि है. साल 2017 में उन्हें भारत के बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था. वह असम बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. जून 2016 में उन्हें असम क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. साल 2002 से साल 2016 तक सेवा करने वाले एसोसिएशन के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.
जोरहाट में पैदा हुए हेमंत बिस्व शर्मा ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. साल 2001 से 2015 तक जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने कांग्रेस का दबदबा कायम रखा. 15 साल तक वे इस सीट से विधायक रह चुके हैं. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. इसके बावजूद कांग्रेस से उन्हें तवज्जो नहीं मिली. साल 2016 असम में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी. इस कामयाबी के पीछे सीएम सर्बानंद सोनोवाल के अलावा हेमंत बिस्वा सरमा का भी रोल था. दरअसल हेमंत उस वक्त कांग्रेस में थे, और चुनाव से पहले उन्होंने कई बार राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें हर बार राहुल से मिलने से रोका गया. इसके बाद वे नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गए.
कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने कहा था कि मैंने राहुल से 8-9 बार बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने से ज्यादा अपने कुत्तों के साथ खेलना बेहतर समझा। अपने आसपास मौजूद लोगों की बात सुनने से ज्यादा वे कुत्तों के साथ खेलने में बिजी रहते हैं। वहीं तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उनकी एक कॉल पर उनको मिलने के लिए समय दे दिया था. बीजेपी में हेमंत की एंट्री के साथ ही असम में पार्टी को दो मजबूत नेता मिले। एक सर्बानंद सोनोवाल, दूसरे हेमंत बिस्वा. सोनोवाल की अगुआई में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को असम में अच्छा रिस्पॉन्स मिला. तो हेमंत के पार्टी में आने से असम में संगठन और मजबूत हो गया और बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था.