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Assembly Election 2023: तीन राज्य 18 सांसद, जानें BJP का मैजिक फॉर्मूला

Assembly Election 2023: तीन हिंदी भाषी राज्यों में हार को जीत में बदलने के लिए बीजेपी ने तैयार किया है मैजिक फॉर्मूला, अब तक 18 सांसदों को सौंपी है बड़ी जिम्मेदारी.

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Dheeraj Sharma
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Assembly Election 2023 BJP Magic Formula

Assembly Election 2023 BJP Magic Formula ( Photo Credit : News Nation)

Assembly Election 2023: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. इस शंखनाद के साथ ही राजनीतिक दलों की ओर से ही रणनीति को धार देने का काम शुरू हो चुका है. चुनाव आयुक्त की ओर से चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद ही भारतीय जनता पार्टी भी हरकत में दिखी. तुरंत मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. हालांकी बीजेप ने पहले ही अपने प्रत्याशियों की सूची के साथ एक संकेत और संदेश साफ कर दिया था और वो ये कि इस बार का चुनाव बीजेपी किसी भी कीमत पर हारने के मूड में नहीं है. 

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यही वजह है कि बीजेपी ने हिंदी भाषी राज्यों में सांसदों की फौज का सहारा लिया है. दरअसल जब भी कोई आपदा या विपदा आती है तो आर्मी यानी सेना को मैदान में उतारा जाता है. कुछ इसी तर्ज पर बीजेपी भी इस चुनाव को आगामी लोकसभा का सेमीफाइनल मान रही है और इस अहम मौके पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.

बीते चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो भारतीय जनता पार्टी तीनों ही हिंदी भाषी राज्यों में हार गई थी. ऐसे में इस बार  चमत्कारी जीत की उम्मीद के साथ आगे बढ़ रही है. यही वजह है कि बीजेपी ने सांसदों का सहारा लिया है और इसे मैजिक फॉर्मूले की तौर पर अपना रही है. आइए जानते हैं तीन राज्यों में बीजेपी ने किन सांसदों पर भरोसा जताया है और इससे क्या फर्क पड़ सकता है. 

3 राज्यों में 18 सांसदों की फौज

भारतीय जनता पार्टी ने तीन राज्यों में अब तक 18 सांसदों को मैदान में उतार दिया है. हालांकि राजस्थान में फिलहाल पहली और छत्तीसगढ़ की दूसरी सूची ही सामने आई है. लिहाजा आने वाले दिनों में हमें और भी सांसदों के नाम नई लिस्ट में देखने को मिल सकते हैं. 

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किस राज्य में कितने सांसद?

बीजेपी की ओर से अब तक मध्य प्रदेश में कैंडिडेंट्स की कुल चार सूचियां जारी की गई हैं. इनमें सात सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़वाया जा रहा है. इनमें कोई केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुका है तो कोई राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर सेवा दे चुका है. इसी तरह राजस्थान की पहली ही सूची में बीजेपी सात सांसदों को टिकट देकर एमपी फॉर्मूले को दोहराया है. जबकि छत्तीसगढ़ में भी चार सांसदों का सहारा लिया गया है. 

राज्य सांसदों के नाम विधानसभा क्षेत्र
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मध्य प्रदेश नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी
  प्रहलाद पेटल नरसिंह पुर
  फग्गन सिंह कुलस्ते  निवास
  राकेश सिंह  जबलपुर पश्चिम
  गणेश सिंह  सतना 
  रीति पाठक  सीधी
  उदय प्रताप सिंह गदवारा
राजस्थान   दिया कुमारी  विद्याधर नगर
  भागीरथ चौधरी   किशनगढ़
  किरोड़ी लाल मीणा  सवाई माधौपुर
  देवी पटेल  संचोर 
  नरेंद्र कुमार  मंडावा
  राज्यवर्धन राठौर  झोटवारा
  बाबा बालकनाथ  तिजारा
छत्तीसगढ़  रेणुका सिंह  भरतपुर- सोनहत
  गोमती साय पत्थलगांव
  अरुण साव  लोरमी 
  विजय बघेल  पाटन

बीजेपी को सांसदों से क्या फायदा?

दरअसल सांसदों को उतारने के पीछे साफ मकसद जीत है. बीजेपी ने इन सांसदों जिन क्षेत्रों में उतारा है वहां पर जीत पार्टी के लिए काफी जरूरी है. राजस्थान की बात करें तो यहां पर पार्टी ने कुल सात सांसदों को टिकट दिया है. पिछले चुनाव में बीजेपी इन सात सीटों में से पांच सीटों पर चुनाव हार चुकी है. लिहाजा इस बार इन सीटों पर कब्जा जमाना पार्टी के लिए बहुत जरूरी है. इसी तरह मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां भी बीजेपी के लिए सातों सीटों पर जीत जरूरी है, हालांकि इन सीटों पर कांग्रेस का होल्ड है लेकिन पार्टी चाहती है कि विरोधी को उसके ही गढ़ में मात दे दी तो जीत का रास्ता काफी आसान हो जाएगा. 

वहीं छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां भी बीजेपी ने 4 सांसदों पर भरोसा जताया है. इनमें एक को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ खड़ा किया है. जो साफ दर्शाता है कि बीजेपी कांग्रेस के दिग्गजों को उन्हीं के किले में गिराने की तैयारी कर रही है. हालांकि ये सांसद पार्टी के फॉर्मूले या रणनीति को किस हद तक पूरा कर पाएंगे ये तो नतीजों वाले दिन ही साफ हो पाएगा. 

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चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं बीजेपी के कई नेता

एक तरफ बीजेपी मैजिक फॉर्मूले के जरिए अपनी हार को जीत में बदलने की तैयारी में जुटी है वहीं दूसरी ओर पार्टी के कई नेता ऐसे हैं जो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते हैं. इनमें प्रमुख रूप से शिवपुरी से विधायक और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया सेहत का हवाला देकर चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जता चुकी है.

वहीं केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार का एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें वो साफ कहते नजर आ रहे हैं कि मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है. इसी तरह कैलाश विजयवर्गीय भी शुरुआत में चुनाव ना लड़ने की इच्छा जता चुके हैं. हालांकि अब इंदौर के 1 नंबर क्षेत्र से उन्हें टिकट दिया गया है और वो प्रचार प्रसार में भी जुट गए हैं.

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HIGHLIGHTS

  • पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बनाई खास रणनीति
  • तीन हिंदी भाषी राज्यों में हार के बाद अब जीत के लिए लगाया मैजिक फॉर्मूला
  • 3 राज्यों में अबतक 18 सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा

Source : Dheeraj Sharma

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