Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा 10 मार्च 2022 को होगी. बता दें कि अभी तक आए कई एग्जिट पोल्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर काबिज होने जा रही है. इन सबके बीच यूपी चुनाव में कैराना सीट पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. बता दें कि शामली जनपद में गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में जेल में बंद सपा विधायक नाहिद हसन (Nahid Hasan) पर अमानत में ख्यानत के एक दूसरे मुकदमे में जमानत के लिए फैसला नहीं हो सकता है. बता दें कि झिंझाना थाना क्षेत्र के गांव खेड़ा खुशनाम निवासी महिला शाहजहां के द्वारा 2019 में कैराना कोतवाली में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक गांव भूरा निवासी नवाब पर उसके पति की गाड़ी को किराये पर लेने के बाद किराये के 1.80 लाख रुपये नहीं देने का आरोप लगाया गया था. आरोप लगाया गया था कि नवाब ने उसके पति की गाड़ी को सपा विधायक नाहिद हसन के पुराने धान के सैलर में छिपाकर रखा था. पुलिस ने नाहिद हसन और भूरा निवासी नवाब के खिलाफ अमानत में ख्यानत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था.
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पारिवारिक राजनीतिक इतिहास
गौरतलब है कि गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में वांछित चलने पर नाहिद हसन 15 जनवरी को जेल चले गए थे. नाहिद हसन कैराना से मौजूदा विधायक हैं और आगामी चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हैं. हालांकि उनके नाम के साथ कई विवादों का भी नाता रहा है. बता दें कि नाहिद हसन के पास एक बड़ी राजनीतिक विरासत है और उनके परिवार का काफी लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है. उनके दादा, माता-पिता, चाचा-चाची समेत परिवार के अन्य सदस्य स्थानीय चुनावों से लेकर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के लिए निर्वाचित होते रहे हैं.
बता दें कि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की पहली सूची में नाहिद हसन का नाम आने पर सियासी बवाल मच गया था. उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर से कैराना से पलायन का मुद्दा और मुजफ्फरनगर दंगों की चर्चा छिड़ गई. वहीं इस दौरान गैंगस्टर केस में नाहिद हसन जेल चले गए और उसी समय उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसकी वजह से उनके विरोधियों को उनके खिलाफ विरोध का एक और बड़ा हथियार दे दिया.
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नाहिद हसन के दादा 1984 में कैराना लोकसभा सीट से चुने गए थे सांसद
नाहिद हसन के पिता चौधरी मुनव्वर हसन की शादी 1986 में सहारनपुर की बेगम तबस्सुम से हुई थी. नाहिद हसन की छोटी बहन चौधरी इकरा हसन 2021 में लंदन से इंटरनेशनल लॉ में पढ़ाई करके भारत वापस आ गई हैं. मुस्लिम गुर्जर परिवार में जन्में 34 साल के नाहिद हसन के दादा चौधरी अख्तर हसन 1984 में कैराना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे. चौधरी अख्तर हसन नगरपालिका के चेयरमैन भी रहे थे. चौधरी अख्तर हसन की राजनीतिक विरासत को नाहिद के पिता चौधरी मुनव्वर हसन ने आगे बढ़ाया था.
1995 में कैराना लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे चौधरी मुनव्वर हसन
1991 और 1993 के विधानसभा चुनाव में कैराना सीट से चौधरी मुनव्वर हसन ने जीत हासिल की थी. जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कांग्रेस के हुकुम सिंह को हराया था. 1995 में कैराना लोकसभा सीट से भी उन्होंने जीत दर्ज की थी. हालांकि 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में वह हार गए थे. वहीं 1998-2003 तक राज्यसभा सांसद और फिर MLC रहे. 2004 में मुजफ्फरनगर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े चौधरी मुनव्वर हसन ने जीत दर्ज की थी.
चौधरी परिवार के लिए दिसंबर 2008 काफी खराब रहा. दरअसल, हरियाणा के पलवल में एक सड़क हादस में चौधरी मुनव्वर हसन की 44 साल की उम्र में निधन हो गया.
पिता की मौत के समय ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहे थे नाहिद हसन
चौधरी मुनव्वर हसन की मृत्यु के समय नाहिद हसन ऑस्ट्रेलिया में बीबीए की पढ़ाई कर रहे थे. नाहिद हसन पिता की मौत की खबर पाकर भारत आ गए, लेकिन बाद में वह अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए वापस चले गए. विदेश से शिक्षा पूरी करने के बाद 2011 में नाहिद हसन भारत लौट आए. हालांकि उनके लौटने से पहले परिवार की राजनीतिक विरासत को मां बेगम तबस्सुम हसन ने संभाल लिया था. वह 2008 में लोकसभा चुनाव में BSP के टिकट पर कैराना से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. वहीं
2018 के उपचुनाव में भी उन्होंने कैराना लोकसभा सीट से जीत दर्ज की.
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अखिलेश की सरकार में बढ़ा सियासी वजूद
बीएसपी ने नाहिद हसन को 2012 में सहारनपुर की गंगोह सीट से उम्मीदवार बनाया. हालांकि चुनाव से तुरंत पहले उनका टिकट काटकर शगुफ्ता खान को दे दिया. इसके बाद नाहिद हसन ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. इस सीट से कांग्रेस के प्रदीप कुमार जीत गए. 2012 में राज्य में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद नाहिद हसन ने पाला बदल लिया और समाजवादी पार्टी का साइकिल पर सवार हो गए. 2014 में कैराना लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. उसके बाद सपा के टिकट पर कैराना सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. हालांकि राज्य में बीजेपी सत्ता में आ गई.
HIGHLIGHTS
- चौधरी मुनव्वर हसन की मृत्यु के समय नाहिद हसन ऑस्ट्रेलिया में बीबीए की पढ़ाई कर रहे थे
- 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद नाहिद हसन ने पाला बदल लिया