मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा था की शासकीय कर्मचारियों के RSS की शाखा में जाने को लेकर प्रतिबंध लगाएंगे, जिसे कांग्रेस पूरा भी करने जा रही है . मुख्य मंत्री कमलनाथ ने कहा की जो कहा वो करेंगे . बता दें कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में सरकारी भवनों के परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं लगाने पर रोक और सरकारी कर्मचारियों को शाखा में जाने की अनुमति रद्द करने का वादा किया, लेकिन बीजेपी जैसे ही हमलावर हुई कांग्रेस अपनी पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए बैकफुट पर आ गई और सफाई देने में जुट गई थी.
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मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले एक मुद्दा पूरे देश में गूंजा कि कांग्रेस की सरकार आती है तो शासकीय कर्मचारीयों के RSS की शाखा में जाने को लेकर प्रतिबंध लगाएगी. वचन पत्र के प्वाइंट नंबर 47.62 में लिखा है कि शासकीय परिसरों में आरएसएस की शाखाएं लगाने पर प्रतिबंध लगाएंगे और शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों को शाखाओं में छूट संबंधी आदेश निरस्त करेंगे. कई राजनीतिक पंडितों ने कहा कि कांग्रेस को ये महंगा पड़ेगा . मगर अंत में कांग्रेस की ही सरकार बनी . मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही कमलनाथ ने सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ़ किया . मगर जब उनसे सवाल पूछा गया की क्या कर्मचारियों के शाखा में जाने को लेकर प्रतिबंध लगाएंगे, इसे लेकर उन्होंने कहा की जो वचन दिया है उसे निभाएंगे .
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जैसे ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद शासकीय कर्मचारियों के शाखा में जाने को लेकर बैन लगाने की बात कही BJP ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की . BJP प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि पहली बात तो ये है की कोई शासकीय भवन में RSS की शाखा कभी नहीं लगी . वही कमलनाथ जी को पता नहीं है की न्यायालय ने कर्मचारियों को स्वतंत्रता दी है की वो RSS की शाखा में जा सकते हैं .
बता दें कांग्रेस के वचनपत्र में RSS की शाखाओं को बैन करने की बात को लेकर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी पलटवार किया था. पात्रा ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि इन दिनों कांग्रेस का एक ही उद्देश्य है," मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं लगने देंगे.' वहीं इसके जवाब में पी चिदंबरम ने कहा था कि 'मध्य प्रदेश की सत्ता में आने पर कांग्रेस अपना संबंधित चुनावी वादा जरूर निभाएगी, ताकि संघ की शाखाओं में सरकारी कारिंदों के शामिल होने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके। इस वादे में कुछ भी गलत नहीं है।'
Source : SHUBHAM GUPTA