बिहार विधान सभा चुनाव के नतीजों में भारी उलटफेर देखने को मिला है. भले ही बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है लेकिन जेडीयू को उसकी पुरानी सहयोगी एलजेपी ने करारा झटका दिया है. बीजेपी ने इस बार जेडीयू से ज्यादा सीटें जीती हैं. जेडीयू को रोकने में चिराग पासवान ने अहम भूमिका निभाई. चुनाव में भले ही एलजेपी एक ही सीट जीत पाई हो लेकिन उसने जेडीयू को करारा झटका दिया है. अगर इन सीटों पर लोजपा अपने प्रत्याशी जदयू के सामने न उतारती तो नतीजे कुछ और भी हो सकते थे.
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लोजपा इस बार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी. उसने बीजेपी को छोड़ सभी दलों के सामने अपने प्रत्याशी उतारे थे. लोजपा ने करीब डेढ़ दर्जन से अधिक सीटों पर जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था. इतना ही नहीं लोजपा ने सिर्फ जेडीयू को ही नहीं बल्कि चार सीटों पर वीआईपी और एक सीट पर हम पार्टी को भी नुकसान पहुंचाया है.
कई सीटों पर बिगाड़ा खेल
एकमा विधानसभा सीट पर जदयू उम्मीदवार सीता देवी को राजद के श्रीकांत यादव से करीब 14 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. इसी सीट पर एलजेपी उम्मीदवार कामेश्वर सिंह मुन्ना को करीब 30 हजार वोट मिले हैं. यदि लोजपा का प्रत्याशी यहां पर नहीं होता तो जदयू को जीत मिल सकती थी.
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इसी तरह सिमरी बख्तियारपुर से वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को करीब दो हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. यहां पर लोजपा उम्मीदवार को तकरीबन सात हजार मत मिले हैं. इसके अलावा सुगौली में लोजपा को 24 हजार वोट मिले और वहां वीआईपी की 3447 वोटों से हार हुई.
दिनारा से लोजपा उम्मीदवार राजेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर रहे और राजद को जीत मिली. यहां जदयू तीसरे नंबर पर चला गया. इसी तरह कई ऐसी सीटें हैं, जहां पर लोजपा के कारण जदयू को हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह मधुबनी और ब्रह्मपुर से लोजपा उम्मीदवार को मिले वोट से वीआईपी की हार हुई हैं. सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट पर भी चिराग की पार्टी ने जदयू को तगड़ा नुकसान पहुंचाया और यहां से RJD उम्मीदवार जीतने में सफल रहे.
Source : News Nation Bureau