बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election) में बक्सर सीट से टिकट मिलने उम्मीद लगाकर गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) ने डीजीपी पद से इस्तीफा दिया था. पुलिस की सर्विस से वीआरएस लेने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने जेडीयू का दामन थामा और वे बक्सर सीट की सियासी पिच तैयार कर रहे थे, लेकिन उनकी उम्मीद पर एक हवलदार ने पानी फेर दिया. कभी हवलदार रहे परशुराम चतुर्वेदी ने ऐसा समीकरण सेट किया कि डीजीपी का पद छोड़कर विधानसभा पहुंचने का ख्वाब देखने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं मिला.
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बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के राजनीतिक में कदम रखने के बाद से बक्सर सीट को संशय बना था. यह सीट परंपरागत तौर पर भाजपा की रही है, लेकिन 2015 के चुनाव में आरजेडी ने अपना परचम लहराया था. ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर खुद को बक्सर का बेटा और बिहार के सिपाही के तौर पर प्रचार किया था. ऐसे में यह लग रहा था कि बक्सर सीट जेडीयू के खाते में चली जाएगी.
जानें कौन हैं हवलदार परशुराम चतुर्वेदी
बक्सर से टिकट मिलने को लेकर गुप्तेश्वर पांडेय के पक्ष में सारे समीकरण दिख रहे थे. इस बीच पुलिस की नौकरी में हवलदार रहे किसान नेता परशुराम चतुर्वेदी ने भाजपा से चुनाव लड़ने का दावा कर दिया. इस पर बीजेपी के हवलदार रहे परशुराम गुप्तेश्वर पांडेय पर हावी पड़ गए. एनडीए के सीट बंटवारे के फॉर्मूला में बक्सर सीट भाजपा के कोटे में चली गई है, जिसके बाद पार्टी ने परशुराम चतुर्वेदी को उम्मीदवार बनाया है.
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भाजपा ने किसान नेता और पूर्व हवलदार परशुराम चतुर्वेदी को टिकट देकर बक्सर में एक नई सियासी बहस को जन्म दे दिया है. हालांकि, अब कहा जा रहा है कि एक हवलदार ने डीजीपी को पटकनी दे दी है. आपको यह भी बता दें कि जेडीयू ने अपने 115 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. इस लिस्ट में गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं है. टिकट नहीं मिलने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि इस बार वह बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
Source : News Nation Bureau