मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाबी कहे जाने वाले मालवा निमाड़ इस बार भी मध्य प्रदेश में सत्ता का रुख तय करेगा यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ पर पूरा जोर लगा रही हैं. जहां पिछले चुनाव में 15 जिलों में 10 जिलों में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी वहां इस बार परिस्थितियां भिन्न है. मध्य प्रदेश में पिछले तीन चुनावों से बीजेपी कांग्रेस को पटखनी देती आ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 165 सीटें जीतकर सत्ता के शिखर पर पहुंची थी. जबकि कांग्रेस को महज 58 सीटें ही मिली थी. लेकिन पिछली बार बीजेपी की इस जीत में मालवा निमाड़ का अहम रोल था यहां की 66 सीटों में से बीजेपी ने 56 सीटें जीतीं थी तो वहीं कांग्रेस महज 9 सीटों पर सिमट कर रह गई थी मालवा निमाड़ के पंद्रह जिलों में से दस जिलों में तो कांग्रेस खाता ही नहीं खोल पाई थी. यही कारण है कि इस बार कांग्रेस इस इलाके मे एक खास रणनीति के तहत मैदान में उतरी है. राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार इस इलाके में दौरे और रोडशो कर रहे है. साथ ही इंदौर में हर रोज एक राष्ट्रीय नेता आकर प्रचार और प्रेस कांफ्रेंस कर रहा है. जिससे इस इलाके में पार्टी का माहौल बन सके.
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वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी अपना पूरा जौर लगा रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तो चुनाव अभियान की शुरूआत ही उज्जैन से की थी. पीएम मोदी भी दो बार इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं. बीजेपी का कहना है कि इस बार कांग्रेस के मालवा इलाके से पैर उखड़ जाएंगे और वह पिछली बार से ज्यादा यानि 11 सीटों से ज्यादा जिलों में खाता नहीं खोल पाएगी. तो वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ज़फर इस्लाम ने कहा कि बरहाल कांग्रेस जानती है कि यदि प्रदेश में सरकार बनानी है तो बीजेपी के इस किले को ध्वस्त करना ही होगा. यही वजह है कि यहां टिकट वितरण में भी मेरा-तेरा और गुटबाजी को छोड़कर जीत की संभावना वाले नेताओं पर दांव लगाया गया है तो वहीं बीजेपी इतिहास दोहराने के लिए अपने पुराने चेहरों पर विश्वास जता रही है.
Source : News Nation Bureau