आम तौर पर राजनीति में 'शुचिता' की पाठ पढ़ाने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगता है झारखंड में शुचिता के अपने ही पाठ को भूल गई है. बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दे दिए हैं, और इसमें वैसे भी नेता शामिल हैं, जिनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी का टिकट पाए भानु प्रताप शाही, मधु कोड़ा की सरकार में मंत्री रहे थे और वह 130 करोड़ रुपये के दवा घोटाले के आरोपी हैं. वहीं पांकी से टिकट पाए शशिभूषण मेहता अपने ही स्कूल की शिक्षिका की हत्या के आरोपी हैं. ये दोनों कुछ ही दिन पहले बीजेपी में शामिल हुए हैं.
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भानु प्रताप शाही को बीजेपी ने 52 उम्मीदवारों की पहली सूची में शमिल किया है. मधु कोड़ा मंत्रिमंडल में मंत्री रहे भानु प्रताप पर 130 करोड़ रुपये दवा घोटाले का आरोप है. अदालत सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सीबीआई और ईडी ने जो आरोप-पत्र अदालत में जमा किए हैं, उसमें भी शाही का नाम है. सूत्रों का कहना है कि नियमानुसार, नेशनल रूलर हेल्थ मिशन के तहत सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों से दवा खरीदने का प्रावधान किया गया है, परंतु मधु कोड़ा सरकार में इन नियमों को धता बताते हुए निजी कंपनिययों से बड़ी मात्रा में दवा की खरीदी की गई थी.
इस घाटाले में शाही को 2011 में गिरफ्तार किया गया था और 2013 से वह जमानत पर हैं. सूत्रों का कहना है कि शाही मनी लांड्रिंग मामले में भी आरोपी हैं. ऐसे लोगों को टिकट देना झारखंड के बीजेपी नेताओं को भी नहीं पच रहा है. यही कारण है कि भवनाथपुर क्षेत्र से पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव ने बीजेपी छोड़कर ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की सदस्यता ग्रहण कर ली. अनंत प्रताप देव ने कहा, 'कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि नीति सिद्धांतों की बात करने वाली पार्टी आज दागियों की गोद में बैठ जाएगी. मधु कोड़ा सरकार में प्रदेश की जनता को किस तरह लूटा गया, सबको पता है. प्रदेश बीजेपी ने हर चुनाव में इस लूट को अपना चुनावी मुद्दा बनाकर वोट हासिल किया. भानू पर 17 सीएलए एक्ट, 130 करोड़ दवा घोटाला जैसे संगीन मामले न्यायालय में चल रहे हैं. इन सब बातों की अनदेखी की गई.'
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बीजेपी के वरिष्ठ मंत्री रहे और चारा घोटाले जैसे कई घोटालों का भंडाफोड़ कर चुके सरयू राय को अभी तक टिकट देने की घोषणा नहीं की गई है, परंतु हत्या के आरोपी और झामुमो से बीजेपी में आए शशिभूषण मेहता को पलामू के पांकी से टिकट थमा दिया गया है. मजेदार बात यह है कि झारखंड बीजेपी प्रदेश कार्यालय में किसी भी नेता की सदस्यता ग्रहण पर आज तक विरोध नहीं हुआ था, परंतु मेहता के बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के दौरान कार्यालय में विरोध का सामना करना पड़ा था.
अक्टूबर महीने में झामुमो से बीजेपी में आए मेहता पर अपने ही स्कूल की वार्डन सुचित्रा मिश्रा की हत्या का आरोप है. फिलहाल मेहता जमानत पर चल रहे हैं. बीजेपी कार्यालय में सुचित्रा मिश्रा के पुत्रों ने शशिभूषण मेहता के बीजेपी में शामिल होने का जमकर विरोध किया था. इस दौरान काफी हंगामा भी हुआ था. आरोप है कि सुचित्रा मिश्रा के हत्यारोपी मेहता को बीजेपी में शामिल कराने का विरोध करने पहुंचे लोगों की मेहता समर्थकों ने जमकर पिटाई की थी.
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बीजेपी छोड़कर झामुमो में आए पूर्व मंत्री बैद्यनाथ राम कहते हैं कि अब वह बीजेपी नहीं रही. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, 'अन्य पार्टियों से आने वाले नेताओं में आरएसएस शाखा का संस्कार ही नहीं होगा तो आप उनसे अपेक्षा क्या कर सकते हैं. अब यहां भ्रष्टाचारियों को पनाह दिया जा रहा है.' हालांकि अब बीजेपी में यह सब क्यों और किसके चाहने पर हो रहा है, पार्टी के नेता इस मुद्दे पर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं.
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