राजस्थान विधानसभा चुनाव के ट्रेंड बताते हैं कि जिस राजनीतिक दल ने गांववालों का दिल जीत लिया, उसी ने पूरे प्रदेश पर राज किया. 2008 में ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था और उसी के बलबूते अशोक गहलोत के नेतृत्व में भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनी थी. उसी तरह शहरी इलाकों की पार्टी कहलाने वाली बीजेपी ने 2013 में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का भी दिल जीता और वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान में बीजेपी की सरकार भारी बहुमत से बनी थी.
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आंकड़े बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2013 में बीजेपी को ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की तुलना में 12 फीसद अधिक वोट मिले थे. वहीं 2008 में कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में गांवों में 2.5 फीसद अधिक वोट मिले थे. जाहिर है कि जब गांव के लोगों ने जिस पार्टी का साथ दिया, उसी पार्टी की सत्ता बनी. बीजेपी के लिए अच्छी बात यह रही कि ग्रामीण इलाकों में पकड़ मजबूत करने के साथ ही शहरी वोटर उससे जुदा नहीं हुए.
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राज्य में कुल 200 विधानसभा सीटों में से 154 क्षेत्र ग्रामीण हैं और केवल 46 क्षेत्र शहरी हैं. आंकड़े बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में शहरों में कांग्रेस का ग्राफ दोगुना गिरा था और ग्रामीण इलाकों में तो वह बीजेपी से बुरी तरह मात खा गई थी. 2008 में कांग्रेस ने सभी 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, वहीं बीजेपी 193 सीटों पर लड़ी थी. तब बीजेपी ने 6 ग्रामीण और 1 शहरी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे. 2013 में बीजेपी पहली बार सभी 200 सीटों पर लड़ी थी.
36.4 फीसदी वोट मिले थे ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को
2008 के विधानभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस का ग्रामीण क्षेत्रों में वोट शेयर 36.4 फीसद था. 2013 की मोदी लहर में कांग्रेस न केवल अपना वह मजबूत गढ़ गंवा बैठी, बल्कि बीजेपी ने उसे काफी पीछे छोड़ दिया. उस चुनाव में कांग्रेस का ग्रामीण क्षेत्रों में 3 फीसद वोट बैंक खिसक गया और बीजेपी ने उसमें 11 फीसद की बढ़ोतरी हासिल कर ली.
शहरों में भी बुरी तरह पिछड़ गई थी कांग्रेस
न सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी कांग्रेस बीजेपी से बुरी तरह पिछड़ गई थी. बीजेपी तो शहरी क्षेत्र की पार्टी कही ही जाती थी, उसने 2008 के मुकाबले 2013 में शहरों में भी शानदार प्रदर्शन किया था. 2008 में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस का शहरी क्षेत्रों में वोट शेयर 2.5 फीसद कम था तो 2013 में वह 5 फीसद यानी दोगुने से भी अधिक अंतर से पिछड़ गई थी.
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एक-दूसरे को उखाड़ फेंकने की कोशिश में कांग्रेस-बीजेपी
बीजेपी गांवों में अपनी धमक बरकरार रखने की कोशिश करेगी तो कांग्रेस उसे उखाड़ने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहेगी. बीजेपी की धमक तभी बरकरार रह पाएगी, जब वोटरों को लगेगा कि पिछले पांच साल में वाकई सरकार ने उनके जीवन में बदलाव के लिए कुछ किया है. वहीं कांग्रेस की वापसी तभी हो पाएगी, जब लोगों को लगेगा कि बीजेपी सरकार से पहले कांग्रेस की सत्ता के समय उनका जीवन बेहतर था.
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Source : News Nation Bureau