सोशल मीडिया पर पिछले दो महीने से नोटा को लेकर अभियान चल रहा है. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार से खफा लोग चुनावों में नोटा का ज्यादा इस्तेमाल करने की अपील कर रहे हैं तो बीजेपी के समर्थक इसे विपक्ष् की साजिश बता रहे हैं. इन चर्चाओं के बीच छत्तीसगढ़ की एक विधानसभा सीट ऐसी है, जिसकी चर्चा पांच साल पहले पूरे देश में थी.
छत्तीसगढ़ की कवर्धा सीट पर साल 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार के अंतर से ज्यादा नोटा (NOTA) को वोट प्राप्त हुए थे. इस सीट की चर्चा करना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि इस विधानसभा सीट पर जीत-हार के अंतर से नोटा को मिले वोटों की संख्या तीन गुना से भी ज्यादा थी. यहां बीजेपी के प्रत्याशी अशोक साहू ने 93,645 से वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार अकबर भाई को 91,087 वोट मिले थे. अशोक साहू ने अकबर भाई को 2,558 मतों से हराया. हार-जीत के इस अंतर से ज्यादा इस सीट पर नोटा को मिले वोटों की संख्या 9,229 थी. पूरे राज्य में 2013 के विधानसभा चुनाव में नोटा पर कुल 4,01,058 मत पड़े थे. यह कुल मतदान प्रतिशत का 3.07% था.
इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला होने के आसार
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 इस बार चतुष्कोणीय होने के चलते काफी रोचक माना जा रहा है. दरअसल, राज्य में इस बार मुख्य राजनीतिक दलों बीजेपी और कांग्रेस के सामने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसीजे) का गठबंधन चुनावी मैदान मे है. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी चुनाव के लिए ताल ठोंक दी है.
90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में 2013 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 49, कांग्रेस को 39, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 1 और अन्य को 1 सीटें मिली थीं. वहीं इन पांच सालों में हुए 1 उपचुनाव में बीजेपी ने ही जीत हासिल की थी. पिछले चुनाव में कांग्रेस को भी काफी सीटें मिली थी इसलिए इस बार का चुनाव काफी महत्वपूर्ण होने वाला है.
दो चरणों में है चुनाव
छत्तीसगढ़ की नक्सल प्रभावित 18 सीटों पर पहले चरण में 12 नवंबर को मतदान होगा. इसके लिए 16 अक्तूबर को अधिसूचना जारी की जायेगी. नामांकन की अंतिम तारीख 23 अक्तूबर होगी. इसके अगले दिन यानी 24 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी, जबकि नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 26 अक्तूबर तय की गयी है.
Source : News Nation Bureau